1. इच्छाएँ किसी की पूरी नहीं होती और संकल्प किसी के अधूरे नहीं रहते. अपनी गहरी चाहत को पाना चाहते हो तो सीखो विद्या संकल्प की.
2. जीवन के सम्पूर्ण प्रबन्धन एवं विकास हेतु श्रीमद् भगवद् गीता भारत के महानतम ऋषियों द्वारा रचित एक अनुपम ग्रन्थ है जो प्रत्येक परिस्थिति में, प्रत्येक विषय पर, किसी भी काल में हमें निरन्तर मार्गदर्शन प्रदान करने में सक्षम है.
3. समय बदल रहा है, देश बदल रहा है और न केवल अनेकों राष्ट्र, शोध एवं प्रबन्धन संस्थान, कॉर्पोरेट जगत बल्कि शिक्षा संस्थान भी श्रीमद् भगवद् गीता के महत्त्व को अनुभव कर रहे हैं तथा इस महान कालहीन ग्रन्थ से प्रेरणा एवं विद्या प्राप्त करने में प्रयासरत हैं.
4. विश्वास को इतना मजबूत कर दो कि कोई भी कमजोर विचार तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य से डिगा न सके. इसका यह अर्थ नहीं कि निष्पक्ष आत्म मूल्यांकन एवं सुधार से भी तुम बचने का प्रयास करो.
5. अजेय कौन होता है अर्थात कौन है जिसे कभी भी पराजित नहीं किया जा सकता. जीवन के संग्राम में आज शस्त्र बदल चुके हैं और साथ ही हमारे शत्रुओं का स्वरूप भी बदल चुका है.
आज इस वर्तमान युग में हमारे जीवन संग्राम में युद्ध के कारण भी पूर्णतः बदल गए हैं. सभी कुछ बदल गया है परन्तु नहीं बदला तो वह सिद्धांत नहीं बदले हैं जिनके द्धारा सभी प्रकार के युद्ध जीते जाते हैं. श्रीमद भगवद गीता के चौथे अध्याय के 41वें श्लोक में उसी ज्ञान का मर्म छिपा है.
– दिनेश कुमार जी