सहारा लगाओ रे… टूट के गिरने वाला है आसमान

कल शाम मुग़लसराय से बनारस आ रहा था…. मड़ुआ डीह से ट्रेन पकडनी थी.

ऑटो में बैठे-बैठे ही प्रेम भैया….. अरे वही….. परेम परकास राजघाट वाले…. देखा तो उनके घर के बाहर भीड़ लगी है….

हमने देखा तो हाथ पाँव फूल गए…. ऑटो वाले को हाथ मारा…. रोक भैया रोक….

ई कइसे टपक गए…. दिन दहाड़े…. बिना बताये? न कोई तैयारी न नोटिस…. अईसे कइसे टपक गये?

उहाँ पहुंचे तो देखे, माजरा कुछ और है.

प्रेम भैया, घर के सामने मैदान में, पीठ के बल उलटे पड़े…. चारों हाथ पैर हवा में उठाये….. लेटे हुए हैं….

भाभी जी परेसान…. दोनों लड़के परेसान…. हाथ-पांव जबरदस्ती नीचे लाते…. पर भैया में न जाने कहाँ से, घटोत्कच की तरह, सैकड़ों हाथी का बल आ गया था….

बगल में सब उनके चेला चमाट, सब आपिये अपोले, खान्ग्रेसी कौमनष्ट….. सब तमाशबीन बने खड़े थे….

हम पहुंचे – ‘अबे ई का तमासा बनाए हो? ई काहे मैदान में Mosquito Net मने मच्छर दानी की माफिक उलटा टंगे हुए हो??? काहे बवाल किये हो? देखते नहीं भौजाई केतना परेसान हैं???’

परेम भैया के गले से आवाज़ आई- ‘आसमान टूट के गिरने वाला है…. सब दब जायेंगे…. कोई नहीं बचेगा…. सब मर जायेंगे…. नोट बंदी हो गयी…. GDP गिर रही है जीडीपी के साथ ही आसमान गिर रहा है.’

हमने चैन की सांस ली- ‘अच्छा…. एही से तुम टांग हाथ उठाये हो ऊपर? गिरते आसमान को रोक लोगे???’

हमने भौजाई से कहा…. ‘टेंसन मत लीजिये…. इनको एतना बार समझाए हैं…. भांग मत खाया कीजिये…. पर ई मानते कहाँ हैं…’

हमने तसल्ली दी- ’52 बिगहा भांग बोये हैं. वही चढ़ गयी है, धीरे धीरे उतर जायेगी. आप जा के चाय बनाइये.’

मजमा लगाए आपिये अपोलों से कहा कि ‘अबे तुम भी तो सहारा लगाओ…. आसमान टूट के गिरने वाला है….’

आपिये भी सब वहीं उलटा लेट गए और हाथ पैर सब उठा लिए…..

हमने चाय पी और कट लिए….

पुनश्च… बोले तो PS मने पोस्ट स्क्रिप्ट –

मोडिया देस की किरसी का सतियानास पेल दिया.

इस बार पड़ेम भैया को अपने राजघाट वाले घर की छत पे 52 बीघा पुदीना बोना था.

नोट बंदी से न बीज मिला, न खाद…. ट्रेक्टर वाला भी छत पे जुताई करने से नट गया… बोला डीजल नहीं है.

सब पुदीना सूख गया.

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