इलाहाबाद. मुसलमानों में जारी तीन तलाक की प्रथा पर वार करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक बताया है.
ट्रिपल तलाक को लेकर दो मुस्लिम महिलाओं की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
हाई कोर्ट का कहना है कि तीन तलाक की प्रथा से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है.
इसके साथ ही हाई कोर्ट कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (MPLB) पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोई भी पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहीं है.
हाई कोर्ट ने बुलंदशहर की हिना और उमरबी की दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना मत रखा.
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और इस्लामिक विद्वान खालिद रशीद फिरंगी महल ने इस फैसले को शरियत कानून के खिलाफ बताया.
उन्होंने कहा हमारे मुल्क के संविधान ने हमें अपने पर्सनल लॉ पर अमल करने की पूरी-पूरी आजादी दी है. इस वजह से हम लोग इस फैसले से मुत्तफिक नहीं है.
उन्होंने कहा, पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी इस फैसले को स्टडी करके इस फैसले के खिलाफ बड़े कोर्ट में अपील करेगी.
केंद्र सरकार भी ट्रिपल तलाक की प्रथा को खत्म करने की मंशा जता चुकी है. सरकार 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कह चुकी है कि संविधान में तीन तलाक की कोई जगह नहीं है.
केंद्र के हलफनामे के मुताबिक़, मर्दों की एक से ज्यादा शादी की संविधान इजाजत नहीं देता और तीन तलाक और बहुविवाह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.
विभिन्न धर्मों में महिला विरोधी कुरीतियों को हटाने के मकसद से लॉ कमिशन ने ट्रिपल तलाक, बहुविवाह और दूसरी प्रथाओं को लेकर 16 सवालों के जरिए जनता की राय मांगी थी.
इस पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (MPLB) लॉ कमिशन से बेहद नाराज है. MPLB का कहना है कि इस देश में कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं और सभी को सम्मान दिया जाना चाहिए.