भेड़-बकरियों के खिलाफ राजा से भेड़ियों की शिकायत

महाराज, हम भेड़िये हैं और शुरू में ही बता दे रहे हैं कि हम बहुत शांतिप्रिय होते हैं. आप को हमारी बात पर शक नहीं करना चाहिए.

आज हम आप के पास भी एक शिकायत लेकर आए हैं जैसे आप के पहले राजा के पास लेकर आते रहते थे.

उनके फैसले हमेशा सही होते थे क्योंकि वे हमेशा हमारे ही हक़ में फैसला देते थे और आप को भी उनके चलाये हुए राजधर्म का ही पालन करना चाहिए.

अब आप हमारी आज की शिकायत को सुनिए और इंसाफ कीजिये जो हमारे हक में होना जरूरी है तभी हम उसको इंसाफ मानेंगे… यह भी साफ साफ बता रहे हैं.

महाराज, हमें कुछ भेड़ों और बकरों से शिकायत है जो दूसरे भेड़ बकरियों को हमारे खिलाफ खड़ा होने को भड़का रहे हैं.

कहते हैं कि अपने सींग से काम लो, भेड़िये को टक्कर दो. वो कोई तुमसे बड़ा जानवर नहीं है, एक टक्कर में उसको पछाड़ सकते हो, बस हिम्मत से टक्कर दो. उसके हाथों मरने की जरूरत नहीं है, तुम भी उसे मार सकते हो.

महाराज, हम भेड़िये बिलकुल शांतिप्रिय हैं. अगर आप को पता न हो तो बता देते हैं कि दुनिया बनानेवाले ने हमें इसलिए निर्माण किया कि हम उसके अस्तित्व की गवाही दुनिया को दे सकें, सब उसे याद करें, उस से दया के लिए प्रार्थना करे.

हम वही काम करते हैं, हमें देखकर ही सब को उसकी याद आती है और वे उस से दया की प्रार्थना करते हैं. इसपर हम क्या करें, वो उसने बता दिया है, हम उसके कहने पर ही सब कुछ करते हैं.

महाराज, उसी ने हमें बताया है कि भेड़ बकरियाँ तुम्हारा आहार होंगी. वे मेहनत कर के पुष्ट होंगी फिर तुम जब मर्जी, जैसी मर्जी उन्हें खा जाना.

अब इसमें थोड़ी हिंसा आवश्यक होती है लेकिन यही दुनिया बनानेवाले की मर्जी है और वही सर्वशक्तिमान है और सब जानता है.

आप शक्तिमान हैं लेकिन आप को भी उसने ही बनाया है और आप की शक्ति नियत समय के लिए हैं. वो सदा के लिए सर्वशक्तिमान है ऐसा हमें सिखाया गया है.

हमारी शिकायत यह है कि अब कुछ भेड़ और बकरे ऐसे पैदा हुए हैं जिन्हें हमारे हाथों शांति से मुक्ति पाना और हमारा आहार बनना मंजूर नहीं.

वे हमसे लड़ते हैं और अब औरों को भी हमसे लड़ने के लिए उकसा रहे हैं. कहते हैं कि शांति से निरीह तरीके से मत समर्पण करो, जिंदगी भेड़ियों का खाना बनने के लिए नहीं है, उनसे लड़ो. हमारे ये सींग हमारे शस्त्र हैं, क्या हुआ अगर उसके दाँत है, हम टक्कर दे कर उसके दाँत तोड़ सकते हैं.

महाराज, हम देख रहे हैं कि कुछ जवान भेड़ें और बकरे-बकरियाँ इनकी बातों में आ रही हैं. ये लड़ाकू भेड़ बकरे दुनिया बनानेवाले सर्वशक्तिमान की आज्ञा की अवज्ञा कर रहे हैं, जब कि इन्हें बिना किसी सोच के हमारा भक्ष्य बनना चाहिए.

ये बाकी भेड़ बकरियों में हमारे खिलाफ नफरत फैला रहे हैं. जब हम किसी मादा भेड़ या बकरी को फुसलाकर बाजू में ले जा रहे होते हैं ताकि उसके अंजाम से बाकी कोई भेड़ या बकरी विचलित न हो, तो ये घात लगाकर हमें टोकते हैं, टक्कर मारते हैं.

कभी कभी हमारे भेड़ियों को उसमें जान भी गंवानी पड़ी है. ये हमारे विशेष अधिकारों का हनन है जो आप के पहले सभी राजाओं ने हमें दिये थे.

आप को भी हमारे इन विशेष अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, यही आप का कर्तव्य और राजधर्म है.

महाराज, हमारी आप से गुजारिश है कि आप हमारी न्यायपूर्ण मांग को मान कर इन नादान भेड़ों को मृत्युदंड दे कर हमारा भक्ष्य बना दीजिये. तभी न्याय होगा.

ये भेड़, दूसरी भेड़ बकरियों को बहकाकर हमें हमारे आहार से वंचित कर रहे हैं. वो आहार, दुनिया बनानेवाले सर्वशक्तिमान ने हम भेड़ियों को दिया है. आप को उसकी बात पर ही चलना होगा. यही राजधर्म होगा.

महाराज, हम शांतिप्रिय हैं. आप हमारी बात मानिए और हमारे ही हक़ में इंसाफ कीजिये. तभी शांति रहेगी वरना जब तक हमारे हक़ में फैसला नहीं होगा हम उसे इंसाफ नहीं मानेंगे.

उसके बाद अगर हम कुछ करें और शांति भंग हो जाये तो उसके जिम्मेदार आप ही होंगे’ क्योंकि हमारे आप को शांति से कहने के बावजूद आप ने हमारे हक में फैसला नहीं दिया. हमारी बात मानना ही शांति की गारंटी है क्योंकि हम शांतिप्रिय भेड़िये हैं.

शांतिपूर्ण गुर्रर्र…

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