गाँव में पंडित जी की भैंस मर गयी. अब मर गयी तो कायदे से उसका निस्तारण करना चाहिए था, सो न हुआ. सड़ने लगी. उसके कीड़े पड़ गए. गाँव भर का रहना दूभर हो गया.
कुछ लोगों ने विषय को उठाया. ये बताया कि देखो कितनी बदबू है. कुछ किया जाए. इसे उठा के दूर ले चलो….. गाड़ो…. जलाओ…. या जो भी करना है… करो.
कुछ लोग विरोध में आ खड़े हुए… मौलाना के घर के सामने भी तो मरी हुई भैंस सड़ रही है… उसको क्यों नहीं उठाते? जाओ पहले सबकी सडती हुई भैंस का किरिया कर्म कर के आओ तब हमारी भैंस को हाथ लगाना.
भैया…. इस्लाम में तो किसी प्रकार के सुधार की या चर्चा तक की कोई गुंजाइश है नहीं. वो छठीं सदी की सोच आज तक ढो रहे हैं.
कहते हैं कि कुरआन में एक बिंदी भी नहीं घट-बढ़ सकती. जो आयत उतर गयी सो उतर गयी.
जो आलोचना करेगा, प्रश्न करेगा, उसके लिए ईशनिंदा (blasphemy) क़ानून के तहत फांसी का फंदा तैयार है.
इस्लाम dead wood है.
इधर हिंदुत्व एक जीवित पेड़ है. इसमें नित नयी कोंपलें फूटती है. नयी शाखाएं निकलती हैं.
हिंदुत्व में रोजाना कुछ घटता बढ़ता है. हिंदुत्व अपने अनुयायियों को शंका करने, प्रश्न करने और आलोचना करने की आजादी देता है….
अपनी पवित्र पुस्तक, अपना आराध्य और अपनी पूजा पद्धति तय करने की भी आज़ादी देता है. नयी सोच और नया दर्शन पैदा करने की आजादी देता है.
सबसे बड़ी बात कि समय के साथ बदलने, विकसित होने की आजादी देता है.
हिंदुत्व में हमेशा सुधारवादी आन्दोलन चलते रहे हैं. पुनर्जागरण होता रहा. पाखण्ड खंडिनी पताकाएं गड़ती रही.
राम, कृष्ण और शिव की आलोचना करने पर आज तक न किसी को फांसी हुई, न कोई संगसार हुआ….
हिंदुत्व ने ही जैन, बौद्ध, सिख और न जाने कौन-कौन से धर्म सम्प्रदाय पैदा होने दिए….
यही तो हिंदुत्व की सबसे बड़ी खूबी है…. स्वतंत्रता…. आज़ादी…. प्रश्न पूछने की आजादी….
हिंदुत्व में आपको छूट है, अनुमति है कि आप सोचें…. पूछें…. तर्क करें…. आलोचना करें….
इस्लाम की जड़ता, कट्टरपन और ज़हालत से प्रेरित हो कर कुछ लोग हिंदुत्व के इसी गुण, इसी स्वतन्त्रता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं.
जैसे एक फिल्म आई थी ‘पीके’… हिन्दुओं और हिंदुत्व को संबोधित करती है शायद (मैंने फिल्म देखी नहीं है).
लोगों की समस्या है कि सिर्फ हमारे दरवाज़े पर सड़ती हुई भैंस क्यों दिखा रहे हो. मौलाना के द्वार पर भी तो भैंस सड़ रही है. पहले उसकी उठाओ, फिर हमारी उठाना.
मेंरा मानना है कि भाड़ में गया मौलाना. उसे रहने दो बदबू में. अबे तुम तो अपना मोहल्ला साफ़ करो यार. हिंदुत्व में सुधारवादी आन्दोलन को चलने दो… रोको मत…
Don’t make Hinduism a dead wood.
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