कौन है ये, जो कभी सड़कों पर पिटते हैं, कभी सोशल मीडिया पर

हिटलर के मायने सबके लिये अलग अलग होते हैं.

किसी बच्चे के लिये ज्यादा देर टीवी ना देखने वाले पिताजी हिटलर हो जाते हैं, किसी कर्मचारी के लिये समय पर ना आने पर टोकने वाला बॉस हिटलर.

किसी बहू के लिये ‘खाने में नमक कम है’, बोल कर टोकने वाली सास हिटलर तो किसी खबरिया चैनल के लिये उनको मनमाने ढंग से काम करने से रोकने वाली सरकार.

मज़े की बात ये है कि हिटलर से नफरत उन दो समूहों (कम्युनिस्ट, मुस्लिम) को सबसे ज्यादा है जो पोलैंड और फिलिस्तीन में नाजियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े थे.

यही हाल पत्रकारिता का भारत में है. इमरजेंसी के समय जब पत्रकारिता को घुटनो पर आने को कहा गया तो ये पत्रकार रेंगने लगे थे. इन्हें अब इमरजेंसी से सबसे ज्यादा नफ़रत है.

पत्रकार होने के दावेदार, खबरिया चैनलों के स्टूडियों की चारदीवारी में सीमित इन न्यूज़ एंकरों का कहना है कि हमें सवाल पूछने से रोका जा रहा.

हे तथाकथित पत्रकारों, हमने भरोसा करके आपको ये हक़ दिया था कि आप हमारी आवाज बन कर सवाल उठायें. आपने क्या किया? बोगस खबरें चला कर अपना एजेंडा साधा.

मिसाल देखना चाहेंगे –

नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पाये गये तीन लाख बोगस वोटर – 6 नवंबर 2015, नव भारत टाइम्स

क्रिसमस के दिन स्कूलों में गुड गवर्नेस डे मनाया जाय : सरकारी आदेश – टाइम्स ऑफ़ इंडिया

बाबा रामदेव का दावा उन्होंने इबोला का इलाज खोजा – द हिन्दू

(पूरी लिस्ट opindia.com पर देख सकते हैं)

कुछ ही साल पहले तक जगह जगह छोटी-छोटी गुमटियों पर मोबाइल रिचार्ज करने वाले दिख जाया करते थे.

समय बदला. अब आप चंद क्लिक्स में खुद रिचार्ज कर सकते हैं. उससे जुड़ी हर जानकारी सीधे अपने सर्विस प्रोवाइडर से ले सकते हैं. धीरे-धीरे रिचार्ज की ये दुकानें दिखना बंद हो गईं.

खबरिया चैनेल यही रिचार्ज की दुकानें थीं. जो आपको आपके सर्विस प्रोवाइडर यानी सरकार से जोड़ती थी.

सोशल मीडिया के ज़माने में इन गुमटियों की ज़रुरत खत्म हो गयी है. अब इन्हें जाना ही होगा.

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के अनुसार पांच टॉप अंग्रेजी न्यूज चैनेल्स की टोटल देखने वालों की संख्या नौ लाख के करीब है.

भारत के टॉप दो अंग्रेजी के अखबारों- टाइम्स ऑफ़ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स की कुल पढ़ने वालो की संख्या 1.20 करोङ से कुछ कम है.

अब अगर इसकी तुलना सोशल मीडिया से करें तो फेसबुक और ट्विटर यूज़र्स की संख्या 6 करोड़ है और लगातार बढ़ रही है.

फेसबुक पर कुछ लोकप्रिय पेज की लाइक्स संख्या देखिए-

The Frustrated Indian – 8,83,811 Likes

The Logical Indian – 54,56,969 Likes

Bhak Sala – 5,80,027 Likes

नोयडा की फिल्म सिटी में बैठ कर जनसरोकार की पत्रकारिता करने वाले ये कैसे पत्रकार हैं जो जनता की ताकत से ही डरते हैं.

जो कभी राजदीप सरदेसाई बनकर सड़कों पर पिटते हैं, तो कभी ओम थानवी बनकर सोशल मीडिया पर पिटते रहते हैं.

जो इस देश के मिडिल क्लास सोशल मीडिया यूजर्स का पेड ट्रोल आर्मी कहके तिरस्कार करते हैं…. क्यों सर ज़िया क्यों बेकरार है.

अवनीश बाजपेयी

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