मोदीजी, आप फ़क़ीर हो… झोला लेकर कहीं भी निकल जाओगे…
कभी सोचा है, इस देश का क्या होगा?
नहीं, आपको यह लक्ज़री नहीं है. आपकी सफलता-असफलता पर इस सभ्यता का भविष्य टिका है.
आप से पहले भी हम एक फ़कीर को झेल चुके हैं, उसकी फकीरी की बहुत कीमत भी चुकाई है. अब यह जुआ और नहीं…
आपको सफल होना ही होगा. आपको अपने गोल (लक्ष्य) तय करने की छूट नहीं है, वह इतिहास ने तय कर रखा है.
इतिहास की कैद से किसी को छूट नहीं है, फ़कीर को भी नहीं. आपको इतिहास ने जीतने के लिये चुना है.
आप श्रीकांत या संदीप पाटिल की तरह मनमर्जी के जोरदार शॉट लगाने के लिए नहीं आये हो. आपको धोनी की तरह विनिंग शॉट खेलना है. यही आपका रोल है…
अब दुबारा मत कहना कि मैं तो फ़कीर की तरह झोला उठा कर निकल जाऊंगा.
आप बुद्ध की तरह यशोधरा को छोड़ कर निकल जाने को स्वतंत्र नहीं हो…
आप अब सन्यासी नहीं, राजा हो… और यह फकीरी राजा को नसीब नहीं होती…