जिस सेना के हर सैनिक का, शीश राष्ट्र को अर्पित है |
जिस सेना के बलिदानों से, भारत माता गर्वित है ||
जिस सेना की संगीनों से, देश सुरक्षा पाता है |
जिस सेना पर भारतवासी, अपनी जान लुटाता है ||
जिस सेना ने नाखूनों से, पर्वत को भी चीरा है |
ज्वालामुखियों के लावो पे, जिसने रचा जजीरा है ||
बाढ़ आपदा आने पे जो, सबकी जान बचाती है |
निज तन की आहुति देकर, जो माँ का मान बढ़ाती है ||
राजनीति के हथकंडों पे, कभी न जिसने कान दिया |
दुश्मन तक को जिस सेना ने, वीरोचित सम्मान दिया ||
सीमा के इतने गावों की, सेना लाज बचाती है |
उस सेना के पदचापों से, ममता क्यों घबराती है?
चोर बसा है तेरे अन्दर, तू उससे ही घुटती है |
कवि की बाणी सुन ले ममता, निज पापों से डरती है ||
बंग भूमि का नाश किया है, ममता बानो पापिन है |
आर्य वंश में जन्म लिया पर, कुल कलंक कुल घातिन है ||
घड़ा पाप का भरा हुआ है, समय आ गया टूटेगा |
मरे हुए हिन्दू लाशों से, ब्रह्म राक्षस फूटेगा ||
सिर्फ हवा की आहट पाकर, तू डर डर चिल्लाएगी |
आर्य वंश का श्राप लगा है, तू पागल हो जाएगी ||