सीमा के इतने गांवों की, सेना लाज बचाती है, उस सेना के पदचापों से, ममता क्यों घबराती है?

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जिस सेना के हर सैनिक का, शीश राष्ट्र को अर्पित है |
जिस सेना के बलिदानों से, भारत माता गर्वित है ||

जिस सेना की संगीनों से, देश सुरक्षा पाता है |
जिस सेना पर भारतवासी, अपनी जान लुटाता है ||

जिस सेना ने नाखूनों से, पर्वत को भी चीरा है |
ज्वालामुखियों के लावो पे, जिसने रचा जजीरा है ||

बाढ़ आपदा आने पे जो, सबकी जान बचाती है |
निज तन की आहुति देकर,  जो माँ का मान बढ़ाती है ||

राजनीति के हथकंडों पे, कभी न जिसने कान दिया |
दुश्मन तक को जिस सेना ने, वीरोचित सम्मान दिया ||

सीमा के इतने गावों की, सेना लाज बचाती है |
उस सेना के पदचापों से, ममता क्यों घबराती है?

चोर बसा है तेरे अन्दर, तू उससे ही घुटती है |
कवि की बाणी सुन ले ममता, निज पापों से डरती है ||

बंग भूमि का नाश किया है, ममता बानो पापिन है |
आर्य वंश में जन्म लिया पर, कुल कलंक कुल घातिन है ||

घड़ा पाप का भरा हुआ है, समय आ गया टूटेगा |
मरे हुए हिन्दू लाशों से, ब्रह्म राक्षस फूटेगा ||

सिर्फ हवा की आहट पाकर, तू डर डर चिल्लाएगी |
आर्य वंश का श्राप लगा है, तू पागल हो जाएगी ||

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जन्म : 18 अगस्त 1979 , फैजाबाद , उत्त्तर प्रदेश योग्यता : बी. टेक. (इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग), आई. ई. टी. लखनऊ ; सात अमेरिकन पेटेंट और दो पेपर कार्य : प्रिन्सिपल इंजीनियर ( चिप आर्किटेक्ट ) माइक्रोसेमी – वैंकूवर, कनाडा काव्य विधा : वीर रस और समसामायिक व्यंग काव्य विषय : प्राचीन भारत के गौरवमयी इतिहास को काव्य के माध्यम से जनसाधारण तक पहुँचाने के लिए प्रयासरत, साथ ही राजनीतिक और सामाजिक कुरीतियों पर व्यंग के माध्यम से कटाक्ष। प्रमुख कवितायेँ : हल्दीघाटी, हरि सिंह नलवा, मंगल पाण्डेय, शहीदों को सम्मान, धारा 370 और शहीद भगत सिंह कृतियाँ : माँ भारती की वेदना (प्रकाशनाधीन) और मंगल पाण्डेय (रचनारत खंड काव्य ) सम्पर्क : 001-604-889-2204 , 091-9945438904

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