अपनी अम्मा से पूछ कि Mummy, what is this सिल बट्टा?

एक मित्र ने सवाल उठाया है – किसान की बासमती 14 रूपए बिक रही है. फिर आखिर उसी धान का बासमती चावल 100 रूपए किलो क्यों हो जाता है?

मित्र, 100 नहीं 150 रूपए.

पता नहीं कितने टुच्चे सड़क छाप लोग होते हैं जो सिर्फ 100 रूपए किलो की बासमती खाते हैं. टुच्चे थर्ड क्लास घटिया लोग…. गरीब लोग…. bloody slum dwellers….

अब आगे से सिर्फ उसी से मित्रता करनी जो 150 रूपए किलो वाली ब्रांडेड बासमती खाता हो. स्टैण्डर्ड भी कुछ होता है यार.

बहरहाल…. मूल विषय पर आते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि किसान से 14 रूपए बासमती का धान खरीद के उसकी shelling, milling, processing कर के miller उसे 28 रु किलो बेच रहे हैं.

जी हाँ ये दिल्ली रेट है. अभी हाल का.

अलबत्ता उस बैग पर दाम 150 रु किलो लिखा है. अब ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप कितने high class बेवक़ूफ़ हैं और उसे क्या भाव खरीदते हैं.

पिछले दिनों जब हमारे उदयन के बच्चों की यूनिफार्म बनवाने के नाम पर अरविन्द पाण्डेय हमसे 75 हज़ार रूपए ठग ले गए तो उस चक्कर में मुझे लुधियाना जा कर एक होज़री यूनिट में जाना पड़ा.

T shirts के बीसियों सैम्पल पड़े थे. सस्ता 70 – 80 रूपए में पर जो सर्व श्रेष्ठ था…. यानी वो जिससे अच्छी चीज़ अब हिन्दुस्तान क्या दुनिया में नहीं बन सकती वो 180 रु में थी.

ठीक वही T shirt मैंने Nike और Reebok के शोरूम में 1800 या 2000 की बिकती देखी हैं.

भैया…. ब्रांड पर जाओगे तो ऐसे ही होगा…. 28 की चीज़ 150 में और 220 की चीज़ 2200 में.

एक मित्र ने पूछा है कि किसान से हल्दी 20 – 32 रूपए में खरीद कर कंपनी 200 रूपए में क्यों बेचती है.

क्योंकि कंपनी जानती है कि इस देश में बहुत मूर्ख रहते हैं जो 200 नहीं 250 में भी खरीद लेंगे.

अबे अंग्रेज़ी की औलाद…. अपनी दादी से पूछ कि वो कौन सी कंपनी की पिसी हल्दी से सब्जी बनाती थी?

अपनी अम्मा से पूछ कि mummy…. what is this सिल बट्टा?

गधे, 32 रूपए हल्दी खरीद और अपनी बीवी को बोल कि सिल पर पीस ले जो कि हमारी माताएं हज़ारों सालों से पीसती आई हैं.

consumerism की औलाद…. बात करते हैं सिल बट्टे की?

प्यारे, Brand का ज़माना है. 220 की T shirt और 28 रूपए की बासमती ब्रांड के चक्कर में 2200 रूपए की और 150 की खरीदते हो और रोना महंगाई का रोते हो?

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