दुष्प्रचार से बचिए, सरकार को उसकी नीतियों से पहचानिये

नरेंद्र मोदी सरकार नए कानून लाकर स्टार्ट अप को बढ़ावा दे रही है, निवेश को सरल बना रही है. जबकि कांग्रेस सरकार की नज़र स्टार्ट अप फंडिंग पर पड़ी तो उसने इसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स मान, इस पर 30% इनकम टैक्स ठोक दिया. नतीजतन फंड्स की जरूरत वाली तमाम स्टार्ट अप देश के बाहर चली गईं

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बाज लोगों का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी की नीतियां एक जैसी हैं. दोनों ही सरकारे कमोबेश एक ही जैसी आर्थिक नीति पर काम करती हैं.

कांग्रेस भी GST लाना चाहती थी, FDI लाना चाहती थी, आर्थिक उदारीकरण पर काम करती थी.

बीजेपी तब इन्ही नीतियों का विरोध करती थी लेकिन सत्ता में आने के बाद वही कर रही है जिनका विपक्ष में रहते हुए विरोध करती थी.

कैसे अंतर को समझा जाये?

दोनों सरकारों में क्या फर्क है?

एक उत्तर ये है कि नीतियां क्रियान्वित कैसे होती हैं. जिन आधार पर बीजेपी ने इन्ही नीतियों का विरोध किया क्या सरकार बनाने के बाद अपनी उन आपत्तियों का निराकरण किया या नहीं.

एक उदहारण देता हूँ. मोदी सरकार के लिए स्टार्ट अप इंडिया उसकी फ्लैगशिप योजना है. सरकार पूरे जोर शोर से इसका प्रचार करती है.

तमाम IIT, IIM और NIT इन्क्यूबेशन सेंटर खोले गए हैं. करीब 5000 स्टार्ट अप कम्पनियाँ खुल चुकी हैं.

नास्डैक और तमाम संस्थान स्टार्ट अप को प्रमोट कर रहे हैं. सरकार नए कानून लाकर स्टार्ट अप को बढ़ावा दे रही है, निवेश को सरल बना रही है.

लेकिन ये स्टार्ट अप कोई डेढ़ दो साल पहले से तो सीन में नहीं आये. फेसबुक, गूगल, ये सब स्टार्ट अप के ही उदाहरण हैं.

भारत में फ्लिपकार्ट, ओला जैसे उदाहरण हैं. और ये कई साल पहले शुरू हुए थे.

कांग्रेस सरकार ने भी, हमारे सर्वकालीन ईमानदार मनमोहन जी ने भी 2011 में स्टार्ट अप को प्रमोट करने के लिए 500 करोड़ की रकम अपने बजट में दी थी. लेकिन वो रकम जमीन पर नहीं आ पायी. मात्र बजट की घोषणा बनकर रह गयी.

स्टार्ट अप में मूलतः वेंचर कैपिटल फंड, एंजल इन्वेस्टर पैसा लगाते हैं. अगर बिजनेस में दम देखते हैं तो ये फंडिंग करोड़ों-अरबों रूपये की होती है. फ्लिप कार्ट, ओला उदाहरण हैं ऐसी फंडिंग के.

2012 में कांग्रेस सरकार की नजर इस फंडिंग पर पड़ी. उन्हें महसूस हुआ कि स्टार्ट अप को करोड़ों रूपये मिल रहे हैं.

कांग्रेस सरकार उस साल बजट में नया कानून लेकर आयी. ऐसी फंडिंग को सरकार ने इनकम फ्रॉम अदर सोर्स माना और इस पर 30% इनकम टैक्स लग गया.

नतीजा ये हुआ कि तमाम स्टार्ट अप जिनको फंड्स की जरूरत थी और निवेशक पैसा लगाने को तैयार थे वो देश के बाहर चली गयी.

सिंगापूर, ब्रिटेन, अमेरिका में रजिस्टर्ड हो गयी जहाँ के कानून स्टार्ट अप की मदद करते हैं. उनको स्पेशल मानते हैं. तमाम टैक्स छूट देते हैं.

हमारी कांग्रेस सरकार के लालच का फायदा दूसरे देशों ने उठाया. कंपनी काम भारत में करती थीं, लेकिन असली फायदा ब्रिटेन सिंगापूर उठा रहे थे.

ये अंतर होता है सरकारों में….

कौन किस तरह की नीति बना रहा है. कैसे इम्प्लीमेंट कर रहा है. ईज़ ऑफ़ बिजनेस किसे कहते हैं. अम्बानी अडानी की सरकार किसे कहते हैं.

ये सरकार की नीतियों से पता चलता है.

दुष्प्रचार से बचिए, सरकार को उसकी नीतियों से पहचानिये. अपने विश्वास को पुख्ता कीजिये.

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