ममता का असली प्लान : पश्चिम बंगाल, बंगाल, महाबंगाल

भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रबल विरोध के कारण यह षडयंत्र विफल हो गया था. फिर भी मुस्लिम नेताओं की एक मुस्लिम बहुल, मुस्लिम शासित, महा बंगाल की इच्छा बरक़रार रही.

जो लोग ये समझते हैं कि ममता बनर्जी कोई अर्ध शिक्षित, उज्जड, सनकी महिला हैं, वे गलत समझते हैं.

ममता बनर्जी एक काफी पढ़ी लिखी, बेहद चालाक और अति महत्वाकांक्षी महिला हैं और वे हर काम सोच समझ कर करती हैं.

उनकी सत्ता की प्यास अपार है, और सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है. यूं समझिये कि वे अरविन्द केजरीवाल की बड़ी बहन है.

सत्ता के लिए उन्होंने बीजेपी से भी हाथ मिलाया था. अटल जी की NDA सरकार में वे मंत्री थीं.

जब उन्हें लगा कि NDA छोड़ने से ज्यादा फायदा है, तो उस फर्जी तहलका कांड का बहाना बना कर NDA छोड़ा, और जाते–जाते जॉर्ज फ़र्नाडिस जैसे ईमानदार और जुझारू नेता पर भी आरोप लगाने से नहीं चुकीं.

फिर कांग्रेस का साथ किया, UPA में मंत्री रही, और जब देखा कि अकेले वामपंथियों से निपट सकती हैं, कांग्रेस को भी डंप कर दिया.

स्पष्ट है कि सत्ता प्राप्त करने के सिवाय ममता का कोई सिद्धांत नहीं है.

अब प्रश्न ये है कि ममता सत्ता क्यों चाहती है. उनके पिछले वर्षो के शासन से ये स्पष्ट है कि देश /समाज का भला करने के लिए तो बिलकुल नहीं.

चूँकि अविवाहित हैं, तो परिवार के लिए भी नहीं. मायावती के समान धन की लालची भी नहीं लगती, जिनका ध्येय ही पैसा कमाना है.

फिर सत्ता प्राप्ति का उद्देश्य?

उत्तर है – उन जैसे लोगों के लिए सत्ता सिर्फ सत्ता के लिए है. एक नशा है, जैसे कंजूस आदमी को सिर्फ पैसे कमाने का नशा होता, उसी तरह ममता जैसे नेताओ को सत्ता/ पॉवर प्राप्त करने का.

दरअसल ममता का ध्येय बंगाल का CM, या देश का PM बनना भी नहीं है. उनका असली उद्देश्य एक नया देश बनाना है, ठीक जिन्ना की तरह, और वो देश है महा बंगाल.

देश के विभाजन के पूर्व ही, बंगाल के मुस्लिम नेता जैसे सुहरावर्दी एक स्वतंत्र महा बंगाल बनाना चाहते थे क्योंकि उसमें मुसलमान बहुमत में थे, और सत्ता उनके पास ही रहती. वे बंगाल का विभाजन नहीं चाहते थे.

इस योजना को जिन्ना का भी समर्थन था. गांधीजी जैसे बहुत से हिन्दू नेता भी हिन्दू-मुस्लिम एकता के नाम पर इस बात पर सहमत हो गए थे.

लेकिन भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रबल विरोध के कारण यह षडयंत्र विफल हो गया था. फिर भी मुस्लिम नेताओं की एक मुस्लिम बहुल, मुस्लिम शासित, महा बंगाल की इच्छा बरक़रार रही.

अब ममता इसको पूरा कर रही है. बांग्लादेश में मुसलमान 85% है और पश्चिम बंगाल में 25 प्रतिशत.

योजना ये है कि बांग्लादेश से घुसपैठिये पश्चिम बंगाल में बसाये जाएं, और मुस्लिम आबादी बढ़ाई जाए.

जिस दिन मुस्लिम आबादी 51% हो जाए, उस दिन पशिम बंगाल को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर उसका विलय बांग्लादेश में कर दिया जाए.

उस दिन ममता धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बन जायेंगी. हिन्दू से मुसलमान बनना बेहद आसान, बस कलमा ही तो पढना है. औरत को तो सुन्नत का भी झंझट नहीं.

बस ममता बनर्जी से ममता बानो. वैसे भी ममता सिर्फ नाम की हिन्दू है. मैंने अब तक उनकी दुर्गा पूजा मनाते कोई फोटो नहीं देखी, लेकिन इबादत करते, इफ्तार करते कई फोटो देखी है.

उन्होंने MA भी इस्लामिक हिस्ट्री में किया है. इस्लाम से उनका लगाव पुराना है. मुस्लिमों में वे लोकप्रिय भी है.

मुसलमान बन जाने के बाद एक मुस्लिम बहुल महा बंगाल का PM बनने से उन्हें कौन रोक सकता है.

चूंकि इस्लाम में कम्युनिज्म बैन है, कम्युनिस्ट ईश्वर को नहीं मानते. और इस्लामिक देश में ये कहना कि ईश्वर नहीं है, संगीन जुर्म है जिसकी सज़ा मौत है, इसलिए ममता को वहां कोई मुकाबला देने वाला भी नहीं होगा और वे मरते दम तक वहां राज कर सकेंगी. यही है उनका प्लान.

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