भारतीय स्टेट बैंक का यह एटीएम मेरे घर से कुछ कदमों की दूरी पर आ. वि. प. कालोनी, सूरजकुंड, गोरखपुर में लगा है.
विमुद्रीकरण की 8 तारीख़ से निर्धारित बंदी के बाद यह एटीएम लगातार काम में लगा रहा 100 की नोटों के साथ और नए नोटों के मुताबिक पहली लिस्ट में कैलीबरेट होने के बाद 2 हजार और 100 के नोटों के साथ लगातार काम करता रहा. 500 के नए नोट भी निकले उपलब्ध होने के बाद से.
अब आप सोच रहे होंगे यह एटीम बंद क्यों है? जबकि यह नए 5 सौ और 2 हजार के नोटों के साथ 100 रूपये निकालने में समर्थ है, एटीएम चेस्ट में नगदी भी मौजूद है.
यह एटीएम परसों दोपहर बाद से बंद है और उसकी वजह है बिजली बिल के बकाये में इस एटीएम की बिजली उत्तर प्रदेश विद्युत निगम के पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने काट दी है.
– ऐसे में जब देश में विमुद्रीकरण के बाद से सरकार, संस्थाएं और बैंक अपनी उच्चतम क्षमता और मेहनत से लोगों तक परिचालन के लिए नगदी पहुंचाने में दिन-रात जुटे हैं, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अधिकारियों और जिम्मेदारों की बिजली बिल जमा करने में यह लापरवाही घोर निंदनीय ही नहीं कठोर कार्रवाई की अधिकारी है.
– आम जनता तक नगदी सुचारू रूप से पहुंचाने में राज्य सरकार की अगर व्यवस्था में नहीं, तो क्या कोई नैतिक जिम्मेदारी भी नहीं? क्या जरूरी जन सेवा के तौर पर इस समय एटीएम, बैंक आदि के खिलाफ बिजली काटने जैसी कार्यवाही से बचा नहीं जा सकता था? क्या बिजली कटौती की शर्तों में छूट नहीं दी जा सकती थी आवश्यक नागरिक सेवा के चलते?
पिछले दिनों तमाम जगहों से बैंकों की लाइन में खड़े लोगों पर अकारण लाठी चार्ज और प्रताड़ना की भी खबरें उत्तर प्रदेश से आती रही हैं, जो दुखद के साथ ही शर्मनाक भी हैं.
एसबीआई के आधिकारिक ट्विटर को इसकी जानकारी देते हुए…. इस पोस्ट के साथ ही मैं स्वयं कल स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की मुख्य शाखा जाने और इस विषय को अधिकारियों के सज्ञान में लाने का काम करूंगा.
जरुरी समय में एक काम करते अच्छे-भले एटीएम को यूँ बन्द करने की यह करतूत बेहद आपत्तिजनक है और जन सुविधाओं में अवरोध की नकारात्मक मानसिकता है, जिसे एक नागरिक के तौर पर बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
अपने आस-पास की ऐसी लापरवाहियों पर तनिक ध्यान दीजिए और नागरिक धर्म का निर्वहन करते हुए हर अवरोधी घटना, हरकतों को जिम्मेदारों के संज्ञान में ले आइये.
खुद अधिक से अधिक कैशलेस सुविधा का इस्तेमाल करिये और अपने आस-पास के छोटे-बड़े दूकानदारों से के साथ-साथ उपफोक्ताओं को डिजिटल कैश, ई वॉलेट उर्फ़ बटुआ और खरीदारी को व्यवहार में लाने को प्रेरित ही नहीं बल्कि खुद आगे बढ़ कर जानकारी दीजिये, सिखाइये.