आज़ बच्चों एवं बड़ों को विभिन्न बीमारियों से बचाव के ढेरों वैक्सीन आ गए हैं एवं नए टीके, डेंगू जैसी बीमारी से बचाव के ज़ल्द आने की उम्मीद है.
कुछ महत्वपूर्ण टीके सरकार मुफ़्त देती है वहीँ कुछ टीके सिर्फ़ प्राइवेट सेक्टर में दिए जाते हैं. कुछ टीके बहुत महंगे भी होते हैं.
टीके करते क्या हैं? और टीकों में होता क्या है?
अधिकांश टीकों में मरे हुए वायरस अथवा बैक्टेरिया होते हैं या फ़िर कमज़ोर कर दिए गए जीवित वायरस (live attenuated vaccines) जिससे यह टीके शरीर में जा कर इन कीटाणुओं के ख़िलाफ़ लड़ने वाली प्राकृतिक एंटीबाडी के उत्पन्न होने का कारण बनते हैं. ज़बकि मरे हुए होने या कमज़ोर होने से बीमारी नहीं करवाते.
अलग अलग बीमारियों में उत्पन्न एंटीबाडी अलग अलग समय तक जीवित रहती हैं.
जैसे चिकनपॉक्स, खसरे, हेपेटाइटिस बी एवं A में जीवन भर तक.
ज़बकि टिटेनस, टाइफाइड, जैसी बीमारियों में कुछ वर्ष.
इन्फ्लुएंजा, स्वाइन फ्लू वायरस साल दर साल खुद में बदलाव करता है इसलिए यह वेक्सीन प्रति वर्ष लगवाना पड़ता है.
अब मैं पहले जन्म से ले कर 5 वर्ष तक के टीकों का नाम लिखता हूँ.
फ़िर प्राइवेट में दिए जाने वाले टीकों की कीमत, महत्त्व और क्यों वे महंगे हैं लिखूंगा.
जन्म:
Bcg, Opv (polio drop), hepatitis B
6 सप्ताह की उम्र:
DPT, Injection polio, Hib,Hipetitis B,Oral Polio, Pneumococcal (Pcv), Rotavirus
10 सप्ताह: same as 6 weeks…except Hipetitis B
14 weeks: same as 6 weeks
9 months: MMR, typhoid conjugate vaccine
1 वर्ष: Hipetitis A,
15 months: MMR
16 months: chickenpox
18 months: DPT, injection polio,oral polio, Pcv booster
2years: typhoid
5 years : typhoid, DPT, chickenpox
10 years: tetanus, typhoid
लड़कियों को 10 से 45 वर्ष की उम्र तक cervical cancer(गर्भाशय कैंसर) से बचाव का टीका लग सकता है.
अब आते हैं उपरोक्त लिखे टीकों में से वे टीके जो सिर्फ़ प्राइवेट में मिलते हैं.
पहले यह बता दूं कि पेंटावेलेंट टीका भारत सरकार ने अपने कार्यक्रम में शामिल किया है विगत वर्षों में.
1. Rotavirus vaccine
तीन dose 1-1, माह के अंतराल में 6 सप्ताह के ऊपर लगती है. और 6 माह की उम्र के भीतर तीनों dose हो जाना चाहिए.
यह वैक्सीन बच्चों में उल्टी दस्त होने के सबसे बड़े कारण rotavirus से रक्षा करता है. रोटा वायरस से भारत जैसे विकासशील देशों में प्रतिवर्ष करोड़ों बच्चे भर्ती होते हैं और मृत्यु भी होती हैं.
कीमत अलग अलग ब्रांड्स की 700 से 1400 rs तक है.
सरकारी कार्यक्रम में यह टीका मुफ़्त शामिल किये जाने की तैयारियां चल रही हैं.
लेकिन शायद वक़्त लगेगा.
2. Pcv या pneumococcal:
यह टीका न्यूमोनिया, मस्तिष्क ज्वर , सेप्टिसमिया ( गम्भीर रक्त संक्रमण),कान एवं गले के इन्फेक्शन
से रक्षा करता है.
न्यूमोकॉकल बैक्टेरिया के ख़िलाफ़ लड़कर.
दो प्रमुख ब्रांड आते हैं .
एक की एमआरपी 1600 rs है तो दूसरे की 3800 rs.
3.टाइफाइड conjugate वैक्सीन: यह टायफाइड का नया टीका है. लेकिन महंगा है. mrp 1800 rs के करीब है.
पहले का सस्ता टीका सिर्फ़ 2 वर्ष की उम्र के बाद ही दिया जा सकता था और मात्र 3 वर्ष के लिए सुरक्षा देता था वो भी 60 प्रतिशत.
नया टीका 90 प्रतिशत सुरक्षा 5 वर्षों के लिए देता है ,साथ ही 9 माह की उम्र पर या उसके बाद भी दिया जा सकता है.
Hipatitis A : यह टीका बेहद कारगर टीका है. मात्र एक dose जीवन भर सुरक्षा देती है hepatitis A के ख़िलाफ़.
हिपेटाइटिस A बच्चों एवं बड़ों में होने वाले पीलिया के 90 प्रतिशत मरीजों में पीलिया का कारण होता है.
इसकी कीमत 1300 rs के क़रीब है.
कुछ ब्रांड दो dose 6 माह के अंतर से लगते हैं तो कुछ
ब्रांड एक ही dose काफी है.
Varicella वैक्सीन: यह वैक्सीन चिकेन्पोक्स से बचाव करता है.
कीमत 1600 से 2100 rs के बीच है अलग अलग ब्रांड की.
एक dose भी 90 प्रतिशत से ज़्यादा सुरक्षा देती है. किन्तु दो dose ले सकें तो बेहतर.
MMR : सबसे सस्ता और सबसे अच्छा वैक्सीन.
तीन बीमारियों से आजीवन रक्षा करता है..
M for ..mumps…या गलसुआ
M for measels या खसरा
R for rubella..
15 माह की बच्ची को लगा mmr न सिर्फ़ उस बच्ची की रक्षा वरन् उसके बड़े होने पर उस बच्ची के को होने वाले बच्चे को गंभीर जन्मजात रोगों से सुरक्षा देता है.
यह वैक्सीन मैं तो कहूँगा भारत की हर लड़की को लगा होना चाहिए. शादी के पहले ही.
स्वाइन फ्लू वैक्सीन: यह वैक्सीन स्वाइन फ्लू के अलावा सामान्य फ्लू से भी रक्षा करता है. लेकिन सिर्फ एक वर्ष.
दो प्रकार का मिलता है.
इंजेक्शन के रूप में और नाक के स्प्रे के रूप में.
इंजेक्शन 6 माह क ऊपर किसी भी उम्र में लगाया जा सकता है. नाक का स्प्रे 2 वर्ष के बाद.
70 प्रतिशत के लगभग सुरक्षा देता है. साइड इफ़ेक्ट आम तौर पर कुछ भी नहीं. कीमत 700 rs से 800 के लगभग.
Menigococcal वैक्सीन:
कीमत 4000 रूपये लगभग
गंभीर मस्तिष्क ज्वर और रक्त संक्रमण से बचाव.
कुछ और जानकारियां:
1. कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षा नहीं देता. 90 प्रतिशत से ज़्यादा सुरक्षा देने वाला वैक्सीन बहुत अच्छा माना जाता है.
2. वैक्सीन लगने के 10 दिन के बाद ही सुरक्षा मिलना शुरू होती है.
मतलब…
जैसे, आज़ आपने चिकेनपॉक्स टीका लगवाया लेकिन यदि आपने चिकेनपोक्स वायरस का संक्रमण एक हफ्ते पहले ग्रहण किया था तो आप अगले दो दिन में टीका लगा होने के बावज़ूद बीमार हो सकते हैं.
3: #side #effects
ज़्यादातर टीके बेहद सुरक्षित होते हैं.
Dpt से बुखार आता है, दर्द होता है और बहुत कम केसेस में झटके आ सकते हैं.
गंभीर रिएक्शन किसी भी टीके से हो सकती है लेकिन इसकी सम्भावना लाखों में एक है. ज़बकि बीमारी की सम्भावना 100 में एक.
दर्द रहित dpt भी आता है. जो दर्द एवं बुखार नहीं करता.
कुछ अन्य टीकों के साथ मिला कर बने ब्रांड की कीमत 2200 rs के आसपास है.
मैंने अपने बच्चों को दर्द वाले लगाये थे और यही सलाह मरीजों को भी देता हूँ.
क्योंकि कुछ शोध में बीमारी से सुरक्षा का स्तर दर्द रहित डीपीटी में कम पाया गया. फिर यह काफी महंगा भी है.
4. टीकों का #तापमान #कण्ट्रोल सबसे ज़्यादा अहम् है.
और इस काम की ट्रेनिंग सभी शिशु रोग विशेषज्ञों को दी जाती है.
टीकाकरण फ़ाइल में ग्रोथ चार्ट भी होता है. शिशु रोग विशेषज्ञ का फ़र्ज़ है कि उस ग्रोथ कर्व को मेंटेन भी करे.
5. क्या टीके वयस्कों को लग सकते हैं?
उत्तर है हाँ….
बहुत से टीके वयस्कों को भी लगना चाहिए. ऐसी बीमारियों के जो वयस्कों को भी होती हैं. जैसे typhoid,chickenpox, hepatitis A,MMR,swine Flu
जब टीका 100 में से 10 लोगों को लगता है तो बाक़ी के 90 को भी फायदा होता है क्योंकि कीटाणु का संक्रमण फैलने की गति कम हो जाती है एक से दूसरे व्यक्ति में .
नए टीकों की कीमत ज़्यादा होती है. जब करोड़ों लोग लगवाने लगते हैं तब कीमत कम हो जाती है.
ज़्यादातर टीके भारत में नहीं बनते. इम्पोर्ट होते हैं. rotavirus का एक ब्रांड भारत में विकसित हुआ है.
An ounce of prevention is worth a pound of cure.
Benjamin Franklin
स्वस्थ जन, समृद्ध राष्ट्र
आपका डॉ अव्यक्त