सच्चे हों तो तुरंत फ़ैल जाएं, पूरा रायता फैला दें, सामने वाले के लिए मुश्किल होगा समेटना

कैसे नहीं लेंगे चेक! अबे इनका तो मरा हुआ बाप भी लेगा. फ़ैल जाओ स्कूल में, चेक लेते हो तो लो नहीं तो मैं चला फिर ले लेना फीस. साले, 12वीं तक यही पढ़ाऊँगा लड़के को और एक पैसा फीस नहीं दूंगा और खबरदार जो एक बार भी फीस का तगादा किया तो.

बात तब की है जब अभी मोदी जी की नोटबंदी बस हुई ही थी.

मैं अलीगढ से वापस दिल्ली लौट रहा था. अलीगढ से मैंने UP roadways की AC बस पकड़ी.

कंडक्टर ने टिकट बनाने शुरू किये. मेरे पास आया तो मैंने उसे 1000 का नोट थमाया.

उसने कहा, ‘ये नहीं चलेगा.’

क्यों नहीं चलेगा भाई?

‘1000 और 500 के नोट सरकार ने बंद कर दिए.’

अरे वो तो मुझे भी पता है कि 1000 – 500 के नोट बंद कर दिए पर ये भी तो कहा है कि रेल, बस, metro में चलेंगे अभी कुछ दिन….

‘नहीं, ये नहीं चलेगा…. हमारे डिपो मैनेजर ने मना किया है.’

भाई….. ये देश तेरे डिपो मैनेजर के कहने से चलेगा या प्रधानमंत्री मोदी के कहने से चलेगा?

वो बोला, ‘देश कैसे चलेगा ये तो पता नहीं पर ये बस तो डिपो मैनेजर के कहने से ही चलेगी.’

तो फिर हमारे पास तो पईसे ना हैं भाई…. हम ना लेते टिकट…. इब तो हम बिना टिकट ही जावेंगे दिल्ली तक…. अपने डिपो मैनेजर को बता दे कि ये पहलवान ना लेता टिकट.

‘ना लेता टिकट तो उतर जा.’

अबे चल न…. न टिकट लूंगा न उतरूंगा….

‘पहलवान जी आप तो जबरदस्ती कर रहे हो….’

अबे जबरदस्ती मैं कर रिया हूँ कि तू…. देश का वित्तमंत्री तू और तेरा मैनेजर हो गया?

‘अच्छा लाओ…. वही दो… एक हज़ार वाला…..’

नहीं…. वो नहीं चलेगा अब…. मोदी ने बंद कर दिया….

‘अरे दे दो न….’

नहीं भाई…. कैसे दे दूं? वो नोट चलेगा ही नहीं…. तेरे मैनेजर ने मने करी है 1000 का नोट लेण ते….

‘दे दो न भाई साहब….. आप तो दुखी कर रहे हो…. प्लीज़….’, कंडक्टर अब घिघियाने गिड़गिड़ाने की मुद्रा में आ गया था.

मैंने उस से कहा, ‘क्यों? आ गया न लाइन पे?

कल एक मित्र ने बताया कि उनके बच्चे की फीस स्कूल वाले चेक से नहीं ले रहे.

क्या कहा? चेक नहीं ले रहे?

कैसे नहीं लेंगे चेक….. अबे इनका तो मरा हुआ बाप भी लेगा….. फ़ैल जाओ स्कूल में…. बोल दो चेक लेते हो तो लो नहीं तो मैं चला फिर ले लेना फीस….

साले, 12वीं तक यही पढ़ाऊँगा लड़के को और एक पैसा फीस नहीं दूंगा…. और खबरदार जो बच्चे से एक बार भी फीस का तगादा कर दिया तो…..

भैया…. गान्ही बाबा मरे तो हमको बहुत बड़ा हथियार दे गए….

सत्याग्रह…. मने सत्य का आग्रह….

सत्य में बहुत बड़ी ताक़त होती है

अगर आप सच्चे हैं तो तुरंत फ़ैल जाओ…. पूरा रायता फैला दो…. सामने वाले के लिए समेटना मुश्किल हो जाता है….

हर उस प्रतिष्ठान में, जहां आप अक्सर जाते हैं… या आप जिसके पक्के ग्राहक हैं… उसको अल्टीमेटम दे दीजिये….

भैया App से पैसे लेना शुरू कर दे नहीं तो हम ना देने के कैश…. और जबरदस्ती चाय पियेंगे… पैसे एक नहीं देंगे… खाते में लिख ले… जब नगद होगा दे देंगे…..

सामने वाले को मजबूर कर दो कि वो नगद लेन देन बंद कर E Banking से काम करे.

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