मेरी समझ में मोदी सरकार के विमुद्रीकरण से भी बड़ा फैसला नरसिम्हा राव का इकॉनमी को खोलने का था.
बंद दरवाजे खोलकर उन्होंने ही भारत को अपने पैरो पर खड़ा किया. आज जो एक संपन्न मध्यम वर्ग हम देख रहे हैं, खुद उसका हिस्सा हैं, नरसिम्हा राव की वजह से.
कभी कार सिर्फ और सिर्फ रिच क्लास के पास होती थी. आज 30 लाख कार एक साल में बिकती हैं.
आज के भारत का बहुत बड़ा श्रेय नरसिम्हा राव और उनके वित्तमंत्री मनमोहन सिंह को है. उनका एहसान है हम भारतवासियों पर.
लेकिन कांग्रेस नरसिम्हा राव के शासन के बाद चुनाव नहीं जीत पायी थी. क्या तब किसी भी भारतीय ने नरसिम्हा राव के योगदान को समझा था ?
बाबरी मस्जिद, हर्षद मेहता काण्ड, झामुमो के सांसद खरीदने का मामला, यही अगले चुनाव के मुद्दे थे.
नरसिम्हा राव के शासन की कीमत तब किसी ने नहीं समझी. उनके बाद इंद्र कुमार गुजराल PM बने, देवगौड़ा बने.
नरसिम्हा राव के काम को अटल सरकार ने आगे बढ़ाया. जो बुनियाद नरसिम्हा राव सरकार ने दी थी, उस पर पहली मंजिल अटल सरकार ने बनाई.
जब सरकारी नीतियों में और देश में क्रांतिकारी परिवर्तन होते हैं तो उसका असर तुरंत नहीं दिखता. इंस्टेंट नूडल नहीं है, न ही मैगी. दो मिनट, दो दिन, दो महीने या दो साल में तैयार.
अटल सरकार ने देश को इंफ्रास्ट्रक्चर दिया. सड़के, मोबाइल, बिजली. देश को औद्योगिक विकास के लिए जरूरी सुविधा दी.
लेकिन अटल जी के इतने बेहतरीन शासन के बाद भी बीजेपी चुनाव हार गयी. पब्लिक को गुजरात याद रहा. इंडिया शाइनिंग दिखा ही नहीं.
क्योंकि ये सुविधा, नीति दिखती नहीं. इन्हें आप महसूस करते हैं. किसी दिन दिमाग की बत्ती जलती है और आप सरकार को धन्यवाद करते हैं.
अटल सरकार के किये काम का असली फायदा कांग्रेस ने उठाया. पहले पांच साल बड़े मजे में कटे.
आज कितनी शान से कांग्रेस दावा करती है विकास करने का. सत्तर साल के विकास का दावा करती है.
खैर कांग्रेस सत्ता में दुबारा आयी. और फिर उसके विकास को आप सभी जानते हैं. सोचिये दूसरे टर्म में मनमोहन जी के पास क्या विज़न था? उनके विकास को लकवा क्यों मार गया?
खैर अब मोदी सरकार है. लगातार नीतिगत फैसले ले रही है. नरसिम्हा राव, अटल सरकार के काम को आगे बढ़ा रही है. लेकिन क्या इनके रिजल्ट दो दिन में दिख सकेंगे. दो महीने या दो साल में?
क्या स्टार्ट अप इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया दो साल-तीन साल में रिजल्ट दे सकेगा?
इन सबका फायदा अगली सरकार उठाएगी. वो कौन सी होगी, निर्णय तो भारत की जनता ही करेगी.
और इस निर्णय को प्रभावित करने के लिए ही इतना शोर है TV पर, मीडिया पर, फेसबुक पर. सरकार हिटलर है, सरकार फासीवादी है.
पिछले अनुभव से ये बुद्धिजीवी सीख रहे हैं. नरसिम्हा राव और अटल बिहारी सरकार से. वो मोदी सरकार, मोदी जी को बदनाम करके रखना चाहते हैं.
ताकि अगले चुनाव में जनता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता याद रखे, दादरी याद करे, गौ रक्षक याद करे. हिटलर याद करे, असहिष्णुता याद करे.
और कांग्रेस वापस आये.
मुझे इन बुद्धिजीवियों से डर नहीं लगता, जनता से लगता है. पिछले रिकार्ड को देखकर डर लगता है.