डि-मोनेटाइजेशन पर आर्थिक नहीं राजनीतिक आधार पर नुक्स ढूंढ़ने वालों ने तब आसमान सर पर उठा लिया, जब सरकार ने आयकर क़ानून में बदलाव का प्रस्ताव रखा.
काले धन वालों को एक मौका और क्यों, काले धन वालों से सांठगांठ, काले धन वालों का दबाव, यही करना था तो देश को लाइन में क्यों लगाया जैसे आरोप लगाए गए या सवाल पूछे गए.
आयकर क़ानून में बदलाव को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति तब और गंभीर हो गई जब ख़ुद को अराजक कहने वाले एक मुख्यमंत्री ने उत्प्रेरक का काम किया.
पूर्व आईआरएस रहे इस ‘अराजक’ मुख्यमंत्री ने सवाल दागा कि काले धन वालों से फिफ्टी-फिफ्टी क्यों किया?
अच्छा हुआ जो इन्होंने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया नहीं तो टैक्स अधिकारी रहते हुए अराजकता आसानी से उजागर नहीं होती.
अब आइये आयकर क़ानून में हुए बदलावों की ज़रूरत को तथ्यों के आईने में परख लेते हैं.
संशोधन के पहले आयकर क़ानून के सेक्शन 115BBE के तहत unaccounted income को इस वित्तीय वर्ष में windfall income की तरह दिखा देने पर सिर्फ़ 30% टैक्स लगता.
इस टैक्स पर सेस और सरचार्ज मिलाकर कुल 35.54% चुकता कर बाकी अपने पॉकेट में रखा जा सकता था.
लेकिन अब क्या होगा?
IT एक्ट के सेक्शन 115BBE में हुए बदलाव से अब unaccounted money को साल में windfall income दिखाने पर भी 60% टैक्स देना होगा.
टैक्स पर 25% सरचार्ज यानी कुल unaccounted cash का 15% और चुकाना होगा. और अब इस 75% (60+15) पर 10% का ज़ुर्माना भी भरना होगा.
यानी कुल unaccounted cash का 82.5% चुकाना होगा ना कि पहले की तरह 35.54%.
सवाल है कि डि-मोनेटाइजेशन किए बिना भी तो IT एक्ट में बदलाव किया जा सकता था?
ज़रूर किया जा सकता था, लेकिन तब तिजोरियों में भरा 500, 1000 रुपए का नोट अगर unaccounted है तो, तभी पकड़ आता जब individual तौर पर आयकर विभाग ऐसे सभी लोगों के घरों में छापे मारता.
अब जो अपने unaccounted cash को formal economy में लाता है, उसे बदले हुए आयकर क़ानून के मुताबिक 82.5% चुकाना है, और अगर formal economy में नहीं लाता है, तो उसका करेंसी नोट सिर्फ़ कागज़ के सिवाय कुछ नहीं.
आयकर क़ानून में बदलाव के साथ सरकार ने एक और विकल्प दिया है, जिसमें unaccounted cash रखने वाला पीएम गरीब कल्याण योजना का चुनाव कर सकता है.
इसके तहत 49.9% टैक्स चुकाना है, और unaccounted money का 25% गरीबों के कल्याण योजना में जाएगा.
अगर कोई under-report या misreport करता है तो टैक्स 50.54% हो जाएगा. कोई असेसमेंट के दौरान पकड़ा गया तो 95.54% टैक्स लगेगा.
आयकर क़ानून के पुराने प्रावधानों के मुताबिक पहले exposed income पर 40.9% का ज़ुर्माना लगता था, लेकिन अब ज़ुर्माने की रकम 60.90% से लेकर 95.54% तक हो गई है.
अब बताइये कि सरकार के लिए आयकर क़ानून में बदलाव ज़रूरी था कि नहीं? आयकर क़ानून में पराया माल अपना करने वालों को ज़ोर का फटका पड़ा कि नहीं?
बिना स्रोत का 500 और 1000 रुपए रखने वाले पहले 100 रुपए में 35.54 रुपए देकर बच सकते थे लेकिन अब 82.5 रुपए देना होगा, और अगर गरीब कल्याण योजना चुनते हैं तो भी हाथ कुछ ख़ास आएगा नहीं.
और हां, नये आयकर क़ानून के मद्देनज़र जो ये इमोशनल टाइप से दे दे रहे हैं कि इस देश में घूस लो, भ्रष्टाचार करो और 50-50 कर लो, उनको ताकीद करा दूं कि भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून repeal नहीं हुए हैं. Enforcement Agencies के हत्थे चढ़ने पर आवभगत पूरी होगी.
(Abhai Srivastava का लेख Kumar Anand और कुलदीप वर्मा के सौजन्य से)