राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्यों नहीं होता हमारे देश में सार्थक विमर्श

rajiv-malhotra-major-general-g-d-bakshi
Rajiv Malhotra in conversation with Major General G D Bakshi

कल मेजर जनरल गगनदीप बक्शी साहब ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें वे और राजीव मल्होत्रा जी राष्ट्रीय सुरक्षा पर विमर्श कर रहे हैं.

साथ में उन्होंने एक पोस्ट भी लिखी जिसमें कहा कि भारत को दक्षिण एशिया क्षेत्र में नाटो जैसा एक संगठन बनाना चाहिये जिसमें जापान, साउथ कोरिया इत्यादि देश भारत के साथ मुख्य भूमिका में रहें.

जनरल बक्शी की पोस्ट मेरे विचारों से सर्वथा मेल खाती है. कुछ दिन पहले ही मैंने अपनी साल भर पुरानी पोस्ट पुनः डाली थी.

दक्षिण एशिया में नाटो जैसा अलायंस अति आवश्यक है. मुझे ये कैसे सूझा? इसकी कहानी भी विज्ञान से जुड़ती है.

कई साल पहले जनरल रिलेटिविटी पढ़ते हुए मुझे क्लिफ़र्ड विल के एक पेपर का रेफरेंस मिला. वो पेपर एक मोनोग्राफ में था जो बहुत महंगी पुस्तक है.

किताब की दूकानों पर खाक छानते एक दिन वो किताब मिल गयी. किसी प्रोफेसर साहब ने मंगाई थी फिर दूकानदार से खरीदी नहीं. अब उस बेचारे दूकानदार ने मुझे 500 में बेच दी.

घर आकर देखा तो वह मोनोग्राफ NATO Advanced Study Institute (NASI) से प्रकाशित हुआ था.

छानबीन की तो पता चला कि NASI नाटो का ही एक अंग है जहाँ उच्च गणित एवं विज्ञान पर कॉन्फरेंस, लेक्चर आदि आयोजित कराये जाते हैं.

यानि NATO केवल मिलिट्री अलायन्स नहीं है बल्कि सदस्य देशों के कई विषयों के विशेषज्ञ वहाँ बैठ कर रणनीतिक विचार रखते और मन्थन करते हैं.

गत वर्ष प्रधानमंत्री ने भी चीन के साथ एक संयुक्त थिंक टैंक बनाने पर हस्ताक्षर किये हैं.

तभी मैंने लिखा था कि SAARC यूनिवर्सिटी और पाकिस्तान-चीन के RANDI के प्रत्युत्तर में ऐसे थिंक टैंक से आगे बढ़कर कुछ दूरगामी स्पष्ट रणनीतिक विचार प्रस्तुत किये जाएँ.

मेरे उन्हीं मनोभावों को जनरल बक्शी ने अपनी पोस्ट में साकार किया है.

इसी क्रम में जेएनयू विवाद पर मैंने सामरिक संस्कृति पर लिखा था. क्योंकि जॉर्ज टैनहम का भारत के Strategic Culture पर लिखा निबंध मैंने पढ़ा था.

साइंस डिप्लोमेसी वाले अपने लेख में मैंने CERN के साथ एसोसिएट मेंबरशिप की बात कही थी जो कुछ दिन पहले ही भारत को मिली है.

फेसबुक जैसे पोर्टल पर ऐसी चीजें सोचने वालों की संख्या नगण्य है. दरअसल कुछ पढ़ कर सोचना और कुछ नया खोज निकालना मेरी स्वाभाविक प्रवृत्ति है. मैं इससे पीछा नहीं छुड़ा सकता.

अब इसका मतलब ये नहीं कि मैं बहुत बड़ा भारी विद्वान हूँ. एक ब्लंडर मैंने किया था कि सुभाष बाबू को युद्ध अपराधी लिख दिया था और उसे सही ठहराया था. जब गलती का एहसास हुआ तो पूरा लेख वेबसाइट से हटवाया.

अब मैं इतना सब आपको क्यों बता रहा हूँ?

इसलिए जनाब क्योंकि रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनयिक सम्बंध, कूटनीति strategic vision, strategic thought इन विषयों पर हमारे देश में सार्थक विमर्श नहीं होता.

बेहूदा न्यूज़ चैनलों को देख लीजिए. बेमतलब बिलावजह ढकोसलेबाज पाकिस्तानियों को बिठा कर मूर्खों की तरह उलटी पुलटी बातें करते हैं.

बड़े लोग तो छोड़ दीजिये युवा वर्ग को भी कुछ समझ में नहीं आता कि किस विषय पर बहस हो रही है.

हम तो बचपन में दूरदर्शन पर रुद्रनाथ सान्याल के साथ War and Peace वाला प्रोग्राम देखते थे जिसमें जनरल अशोक मेहता, जनरल अफसर करीम, कमोडोर सी उदय भास्कर जैसे लोग विमर्श करते थे. अब ये लोग ज्यादातर अंग्रेजी चैनलों पे ही दीखते हैं.

ऐसा नहीं कि हमारे यहाँ विदेश सेवा के अधिकारियों को सामरिक मामलों की समझ नहीं है. डेविड मलोन ने Does the Elephant Dance में IFS कैडर की बहुत तारीफ़ की है.

लेकिन व्यथा इस बात की भी है कि राजीव भार्गव की Political Theory में राम मन्दिर के मुद्दे को साम्प्रदायिकता से तो जोड़ा गया है लेकिन ‘National/International Security’ पर कोई चैप्टर ही नहीं है.

सिक्यूरिटी पढ़ने के लिए Andrew Heywood की पॉलिटिकल थ्योरी देखनी पड़ेगी. ये कितनी अजीब बात है कि जो देश सैकड़ों वर्षों से विदेशी आक्रमण झेल रहा है उस देश के राजनीति शास्त्र के विद्वान सुरक्षा पर कुछ लिखते ही नहीं. छात्रों को खानापूर्ति के लिए विदेशी लेखकों को पढ़ना पड़ता है.

ऐसे में क्या किया जाये? मैं एक व्यक्ति की कहानी और बताना चाहता हूँ. वे हैं रक्षा मामलों के वरिष्ठ विशेषज्ञ और पत्रकार नितिन गोखले साहब.

आप सेना में नौकरी करना चाहते थे किंतु चयनित नहीं हो पाये. तब आपने 1983 से ही पत्रकारिता आरंभ की और क्षेत्र चुना राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा सम्बंधी मुद्दे.

आज गोखले साहब का अपना थिंक टैंक है ‘भारत शक्ति’. उन्हें आर्मी के थिंक टैंक CLAWS और United Service Institution में व्याख्यान देने के लिए बतौर विशेषज्ञ बुलाया जाता है.

आपने 1965 युद्ध के इतिहास और सियाचेन पर अंग्रेजी हिंदी मराठी तीन भाषाओं में रोंगटे खड़े कर देने वाली पुस्तकें लिखी हैं.

यहाँ एक और दूसरे थिंक टैंक का लिंक देना चाहता हूँ. यह है Forum for Integrated National Security.

Forum for Integrated National Security
Forum for Integrated National Security

जैसा ऊपर दिए चित्र में देखा पा रहे हैं, यहाँ युवाओं के लिए एक Young Thinkers Program 2017 आरंभ किया गया है.

विषय हैं: राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा रणनीति, साइबर सुरक्षा, विदेश नीति, न्यूक्लिअर डॉक्ट्रिन, समुद्री सुरक्षा आदि.

इस प्रोग्राम में एक विद्यार्थी को एक मेंटर/ सुपरवाइज़र के साथ जोड़ कर पढ़ाया जायेगा और अंत में सम्बंधित विषय पर एक थीसिस लिखनी होगी और सर्टिफिकेट दिया जायेगा.

पूरी जानकारी वेबसाइट पर देखें और अपने आसपास युवाओं छात्रों को प्रोत्साहित करें. http://finsindia.org/ytp/

Comments

comments

LEAVE A REPLY