Missed call : एक रहस्य भाग -4

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बालकनी में बैठ चाय पी ही रही थी कि फोन घनघना उठा .. आज मेरी ही मन पसन्द रिंग टोन आफत बन चुकी थी इसलिए बड़ा बेकार लग रहा था गाना..

नम्बर देखा ही नही और चिल्ला पड़ी क्या है क्यों तंग कर रहे हो.. तुम्हे पता है न ये किसका नम्बर है दो मिनट में पुलिस थाणे में बैठे मिलोगे..

हेल्लो .. नक्षत्री किसने धमकी देवे हैं.. कूण बेटी का यार फोन करे है? फौजी तो फौजी 50 वेराइटी की गाली बोल दी..

फिर मैं बोली कोई नही रोंग नम्बर है बार बार कॉल कर रहा है..

अब इन्होंने पूछ लिया क्या कह रहा है..

अब सोचूँ फंस गयी बेटा तू अब क्या होगा क्या कहूँ…

बोल भी क्या बोला…

..अरे कुछ नही लखनऊ से आ रहा है कॉल.. कह रहा ये अंगूरी दादी का नम्बर है उनसे बात करवा दो..

मैंने मना किया कि उनका नहीं तो कह रहा आप झूठ कह रही हैं परसों तो बात हुई हैं उनसे. बस यही ज़िद्द लगाये बैठा है..

अब ये जोर से हँसे. और हँस के बोले फेर बढ़िया दादी ही बोला न ..कोई पटा लेगा इन रोंग नंम्बर वाला त दूर रहा कर .. हम खाली बैठे यूं ही करा करें.. मेरा फलां बेची साले ने तीन गर्लफ्रेंड बना रखी हैं और ऐसे ही कई किस्से सुना डाले किसी किसी के .. और मेरे मुँह से निकल गया और तुमने कितनी पटाई.. हँसे जोर से बोले कोई पटि ही नही ..आवाज़ सुन के डर जा हैं.. मैंने लम्बा सा ह्म्म्म्म किया..

फिर बोले तुझे सचेत कर रहा हूँ.. पता लगा न पट गयी तेरी गर्दन अलग मिलेगी…

पट गयी? मतलब? मैंने पूछा कि ये काम तुम करवा रहे हो? मुझे आज़मा रहे हो?

तेरा दिमाग खराब है के… जब देखो उल्टा सोचेगी.. मेरा बिल आ रहा है फालतू का.. जरूरी बात सुन मुझे आने में दो दिन और लगेंगे… इतवार की रात को आऊंगा या सुबह पहुंच जाऊँगा…

और हाँ ज्यादा मुँह न लगाइयो उसे कह दियो पुलिस कम्प्लेंट कर दूँगी नहीं सुधरा तो…

मैंने ह्म्म् कहा और उन्होंने फोन काट दिया..

हमारी बातों के बीच उसकी कॉल आ रही थी बार बार…

फोन काटते ही उसका फोन आ गया..

मैंने फोन रिसीव किया ही था कि .. हेल्लो बोलते ही बोला .. क्या बात दादी बड़ा फोन बिज़ी आता है आपका..

बुढ़ापे में बॉयफ्रेंड? दादा को पता है या नही?

तुमसे मतलब ? क्यों बताऊँ?

न मत बताओ… पर बुढ़ापे में इश्क़ बाज़ी ठीक नही दादी…

क्यों दादा को धोखा दे रही हो…

बेटा तेरे दादा का ही फोन था..

ओहो हाय वाह दादी बुढ़ापे में दोनों फोन पर गुटरगूँ कर रहे हो .. दादी बड़ी रोमेंटिक हो तुम…

और मैं उसकी ये बकवास सुने जा रही थी.. सुन इसलिए रही थी की वाक़ई उसकी इस चुहल में आनंद आ रहा था .. हँसी दबाये बस सुनती ..एक शब्द बोलती थी और बाकी वो..

हेल्लो दादी अंगूरी हेल्लो अंगूरी जानेमन यही हो या काट दिया फोन ओ दादा की दादी.. न दादी नही दादा की कबूतरी..

और मुझे हँसी आ गयी स्पीकर पर हाथ रखा और बिना आवाज़ के हँसी.. और फिर कण्ट्रोल करके बोली यही हूँ तुम्हारी बकवास सुन रही हूँ क्योंकि और कोई काम है नहीं मुझे .. और कौन सा मेरे फोन का बिल आ रहा है..

अच्छा!!!! अरे दादी तेरी इस अंगूरी शराब के नशे सी आवाज़ पर तो लाखो का बिल भी भर दूँ..

और मैं सोचती ये ऐसे ऐसे शब्द लाता कहाँ से है कि हँसी आये बिना ही नहीं रहती..

फिर बोला अच्छा दादी दादा कब आ रहे है घर खाने को दौड़ता होगा न उनके बिना…

और मैं चोंक गयी.. मेरी तो एक हाथ लम्बी जीभ बाहर आकर दांतों के बीच में थी..

और खुद ही बोली इसका मतलब वो फोन तुम्हारा था रात को?

और वो हँस पड़ा… हाँ दादी कबूतरी मेरा ही नम्बर था लखनऊ का .. सोचा .. मिला के देखूँ क्या पता अंगूरी शराब का असली नाम पता चल जाए..

पर ये पता चल गया फ़िलहाल कुछ दिन अकेली हो..

दादा घर नही .. बहू बेटे ने घर से निकाल दी..

पर मुझे डाउट है.. इतनी चलाक दादी मुझे पांच दिन से घुमा रही है नाम तक की हवा नहीं लगने दी.. उसे घर से कौन निकलेगा पक्का तुमने ही निकाले होंगे बड़ी अत्याचारिन् है तू..

अच्छा!! तुम पर क्या अत्याचार किया?

किया न नाम तक नहीं बताया अभी तक… अंगूरी तो है नही…बेटा बहू भी नही है पति भी नहीं हैं पोता भी नही है…

हैं बाहर गए हैं अबकी बार बात ही करा दूँगी तुम्हारी बहू से…

अच्छा नाम तो बता दो बाकी बात का भरोसा कर लिया बस और नाम नही है ये.. तभी घड़ी पर नज़र पड़ी 10 बज गए थे.. तुम 2 घण्टे से मेरा दिमाग चाट रहे सो क्यों नही जाते.. दस् बज गए. नहीं आज नहीं सोना आज आप से बात करनी है…

क्यों?

क्योंकि मेरी ट्रेन है परसों की लखनऊ ब्रांच में भेज दिया. 6 महीने के लिए..

तो ये तो अच्छी बात है ना.. मैंने कहा.. और तुम्हारा घर भी उधर ही है.

हां है तो..

चलो अब नाम तो बता दो..

मैं फिर मजे लेने लगी..चीं चाम चु..

ये क्या?

मेरा नाम..

प्लीज़ मज़ाक नहीं असली बताओ…

ठीक है बता दूँगी..

फिर फोन तो नहीं करोगे न…

न वो तो करूँगा..

तो मेरा नाम इस जन्म में तो पता नहीं चलेगा…

ओके शर्त लगा रही हो अंगूरी…

ठीक है मंजूर..

ठीक है .. और कुछ ..अब रखूँ फोन?

अरे रूको तो .. अंगूरी देवी जब देखो फोन काटने की लगी रहती है .. जिसका बिल आ रहा है उसे चिंता नही तो तुम्हे क्यों….

बोलो अब क्या रह गया?

शर्त..

कैसी शर्त…?

दादी लगता है बुढ़ापे में यादाश्त कमजोर हो गयी बहू को बोल बादाम खिलाए…

ओके बोल दूँगी और कुछ..

यार दादी तू कितनी नीरस है .. दादा ने कैसे दिन काटे होंगे मुझे तो दया आ रही अब..

दादा की बात कराना उनकी दो चार गर्लफ्रेंड बनवाऊंगा .. कम से कम कुछ दिन दादा भी जी ले ज़िन्दगी..

ओके करा दूँगी ..और कुछ

दादी अंगूरी ये खड़ूस पना पैदाइशी है या कोई कोर्स किया है..

नहीं पता मुझे..

अंगूरी बेबी तुम्हारी नाक तो पक्का लम्बी होगी….

क्यों?

गुस्सा जो नाक और रहता है…

ह्म्म्म्म और कुछ या रखूँ फोन 11 बज गए…

अरे अंगूरी एप्पल रूको तो…

अब क्या है और एप्पल क्या है …

अच्छा सुनो तुम्हारी आँखे जरूर नशीली होंगी..

क्यों.. ?
अरे जिसकी आवाज़ में नशा हो आँखों में न हो मान ही नही सकता..

ह्म्म्म्म.. बोल दिया या और कुछ बाकी है…

हैं ना..

क्या?

जिसकी आवाज़ नशीली हँसी नशीली उसका नाम भी नशीला ही होगा…

तुम्हारा नाम क्या अंगूरी…?

उसने इतना दिमाग लगाया और इतने प्यार से पूछा की हँसी छूटे बिना ही नहीं रही और फोन को तकिये के नीचे दबा खूब हँसी..

और फिर सयंत होके बोली… अंगूरी..

हम्म मतलब तुम शर्त जीत के रहोगी अंगूरी पपीता..

और मेरा पेट दर्द हो रहा था भीतर भीतर हँस हँस के…

चलो अब तो रखूँ नींद आ रही है…

ओके सो जाना मैं जा ही रहा हूँ तुमसे बिछड़ने के गम में तुम्हे गाने सुनाता हूँ..

अच्छा तुम्हे गाना भी आता है क्या?

अरे हम लखनऊ वाले हैं मिठास तो हमारे गले में रहेगी ही….. हरियाणा वालों की तरह नशेड़ियों जैसी नहीं…

ओके ओके जल्दी सुनाओ गाना…

उफ़ दादी तुम वाक़ई खडूस हो..

मैं यहाँ कब से मरीन ड्राइव पर बाहर बैठा हूँ .तुम्हारे लिए..और तुम बस् क्यों, ह्म्म्, और रखूँ फोन.. बस यही तीन शब्द..

चलो ठीक है न बोलो… गाना सुनो रूको जरा लेट जाऊँ समुन्द्र की ठण्डी हवा तारे और फोन पर मैं और एक अंगूरी दादी…. छोड़ो अपना अपना नसीब 24 साल की उम्र में 56 साल की बहंगी काली मोटी गिठठी औरत ही नसीब में थी….

दादी कम खाया कर 96 किलो!!! मर गयी तो अर्थी के चार नहीं 16 आदमी लगाने पड़ेंगे… तू तो मर कर भी आदमियों का पसीना निकलवा के छोड़ेगी… अत्याचारी बुढ़िया.. लगता है बहू बेटे पोते और दादा के हिस्से का भी तू ही खा जाती होगी….

और मैं हँसी डुबाये उसके डायलॉग सुने जा रही थी…

और फिर बोली उसकी तुम फ़िक्र मत करो.. जब मरूँगी क्रेन बुक करा लेंगे क्रेन उठा ले जायेगी मेरी अर्थी.. एक बज गया गाना सुनाना हो तो सुनाओ वरना घर जाओ और सो जाओ……

भगवान तुझे कभी माफ़ नहीं करेगा अंगूरी अनार.. मेरा शाप लेगेगा… तुझे प्यार न मिले….

ओके मुझे जरूरत भी नहीं दे लो ..

अब काट रही हूँ फोन.. और सच तो ये था फोन मैं भी नहीं काटना चाह रही थी उसकी मजेदार बातें मन लगाये हुए थी 2 बजने वाले थे रात के पर फोन काटने को जी नहीं चाह रहा था……

रूको रूको.. !!!!!!(अब!! क्या!! है!!!!बोलो मैंने कहा)….. अरे कुछ नही अपना नाम तो बता दो अंगूरी गुलाबो…

और मैं हंस पड़ी और बोला गुलाबो बस..

मतलब तुम नहीं बताओगी?

बड़ी कट्टर हो …

ठीक है चलो गाना सुनो और उसने गाना शुरू किया वाक़ई खनकती आवाज़ दिल किया सुनती रहूँ (मोरा पिया मो से बोलत नाही) और फिर पूछा कैसा लगा…

मैंने कुछ नहीं कहा….

ओके मत बोलो दूसरा सुनाता हूँ…

फिर एक ग़ज़ल गाई (हम तेरे शहर में आएं हैं मुसाफिर की तरह इक बार मुलाक़ात का मौका दे दे) और इस तरह उसने कई गाने सुनाये सुबह के साढ़े चार बज गए थे….

तो अचानक बोला 5 बजने वाले है अंगूरी दादी ऑफिस जाना है गुलाबो नाम तो बता…

और मैं चुप हो गयी ..

मतलब नहीं बताओगी ठीक है हार तो नही मानूंगा…

चलो मुझे ऑफिस जाना है तुम सो जाओ दादी बुढापे में इतनी देर जागना ठीक नहीं…

और मैंने ओके कह के बड़ी बेदर्दी से फोन काट दिया….

उसने कॉल की पर उठाया नहीं क्योंकि स्कूल मुझे भी जाना था और काम घर के….

क्रमशः

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