Missed call : एक रहस्य भाग -3

missedcall

पहले तो मुस्कुराई पढ़ कर पर फिर दिल की धड़कन तेज़ हो गयी .. कि ये मैं क्या कर रही हूँ.. और अगर सच में फोन आ गया तो? कहीं उसे लत पड़ गयी तो? बड़े डरावने ख्याल आने लगे…

फिर तो धड़कन के साथ साथ पेट में मरोड़ भी उठने लगे जब ये ख्याल आया कि पति को पता चल गया तो… हे भगवान उसका फोन न आये … पर दिमाग में ये नहीं आया कि ब्लैकलिस्ट में डाल दू नम्बर… क्योंकि उधर सोचा ही नहीं स्वार्थी जो हो गयी थी, मन बहलाने को खिलौना सा जो मिल गया था….

और फिर 24 साल की उम्र इतनी परिपक्वता कहाँ होती है … बस मन में आया बात करना अच्छा लगा और करती गयी… और भगवान से मनाऊं की फोन न आये…|
आज तो कुछ न खाया चाय पानी पीते ही पेट में अजीब सा तूफ़ान जैसे कोई एग्जाम देने जा रहे हों..

फोन तो आया आठ बजे और बज उठा… दिल धड़के जोर से पैर कांपने लगे …फोन रिसीव किया …

हेल्लो राम राम दादी जी…

राम राम बेटा … बोलो कैसे फोन किया..

दादी जी मैसेज किया था न इंग्लिश सीखनी है…

कब? और फिर मैं जानबूझ कर हरयाणवी बोलने लगी की दादी जैसी ही लगूं…

रे बेटा मन्ने कित् पढ़णो आवे है म्हारे जमाने में कोई न भेजता था छोरिया न स्कूल… अब यो मैसेज के होवे है मन्ने न बेरो… और फेर मन्ने कम दिखे है बिजली सी चमकी तो थी इसमें पर मैसेज थो यो न बेरो थो न तो बहू न कह देती पढ़ के सुना देती.. और फोन के स्पीकर पर हाथ रख लम्बी साँस ली क्योंकि एक साँस में बोल गयी डर के मारे… और वो जोर जोर से हँसने लगा…

मन में सोचूँ अब क्या हुआ इसे..

ओह तो दादी हरियाणे की है …

दादी में लखनऊ का हूँ पर दिल्ली पढ़ा हूँ हरियाणा की बोली समझ आती है..

ओह्ह अच्छी बात है बेटा…

दादी दादा क्या करते हैं..

आर्मी में है बेटा वो…

वो फिर हँसा .. दादी दादा रिटायर नहीं हुए और मुम्बई में आर्मी…

और मेरे मुँह से जीभ निकल कर बाहर आ गयी…

फिर दिमाग दौड़ाया .. बेटा अगले साल होने वाले हैं यहाँ एम् ई इस ब्रांच में हैं..,

और फिर उसने लम्बा सा ह्म्म्म्म्म्म किया…

फिर बोला ये आपके बेटे बहू और पोते की आवाज़ नहीं सुनी दो दिन से सोच रहा था .. बहू ने घर से तो नहीं निकाल रखा…

न न सो गए वो..

इतनी जल्दी…

अब गुस्सा आ गया मुझे.. क्यों दिमाग चाट रहे हो रखो फोन.

अरे अंगूरी जी आप तो नाराज़ हो गई.. बुढ़ापे में इतना गुससा ठीक नही…

काफी देर से चेयर पर बैठी थी तो खड़ी होने लगी और कुर्सी पैर पर लगी.. आह निकल गयी…

क्या हुआ अंगूरी जी.. उफ़फ़फ़ ये अंगूरी!!! ये भी वो कमीना चिढ़ाने के टोन में बोलता था समझ आ रहा था…

नहीं कुछ नहीं बुढ़ापा है गोड्डे घिस गए दर्द कर रहे हैं….

अरे मुझे बुला लो मैं मालिश कर दूंगा…

क्यों? क्यों कर दोगे मेरी बहू है, बेटा है, पति है, कोई जरूरत नहीं मुझे..

अरे आप तो फिर नराज़ हो गयी.. आप इतना डर क्यों रही हैं..

नही तो मैं क्यों डरूँगी…

अच्छा ये यशु दास कौन है..

कौन यशु दास ?

आपका नम्बर उनके नाम से है…

बड़ी खुश हुई मै तब जैसे तिनके का सहारा मिल गया हो…

मेरे पति का नाम है..

ओह…

एड्रेस दादर का है आपका ..

जी .. पर इतना पता लगा लिया ? क्यों?

पिटना है क्या तुम्हे?

अरे न अंगूरी जी..

मुझे लगा आप झूठ बोल रही हैं इसलिए पता किया था …

पर आप तो सच में बुड्ढी हैं…

जी .. मैंने तो पहले ही सच बोल दिया था…

अब रखती हूँ फोन…

अरे रूको तो एंटरटेन का मतलब बता जाओ…

मैं बोली – नहीं पता, बहू बोलती है इसलिए सुना है मैं तो गाँव के स्कूल में दूसरी फ़ैल हूँ..

उसके बाद बचपन में ही ब्याह हो गया था….. अब रखूँ..

ओके अंगूरी जी… सॉरी आप को तंग किया…

कोई बात नहीं बेटा…

और उसने फोन काट दिया…

एक्चुली यशुदास मुम्बई के ACP हैं और हमारे फ़ेमिली फ्रेंड .. उन दिनों MTNL फ्री में सिम बाँट रहा था सरकारी कर्मचारियों को, तो एक उन्होंने हमें दे दिया ताकि मेरे पास फोन हो … बीमार रहती थी फोन की जरूरत भी थी..

अब लगा कभी फोन आया तो कह दूँगी ये तो असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर का नम्बर है गलत लग गया आपसे…. पर उसका फोन नही आया ..

मैं भी सो गयी….

अगले दिन इतवार था घर में पड़े पड़े पागलों सी हो गयी…

पति घर नहीं थे तो पीछे से कहीं बाहर जाने की मनाही थी.. टीवी भी कितनी देर देखती.. फिर ख्याल आया उसी से मगज मारी कर लेती.. पर लगता है उसे यकीन हो गया मैं बुड्ढी हूँ… अब फोन नहीं करेगा.

दिन निकल गया शाम हो गयी रात हो गयी… एक बजे फोन घनघना उठा … नींद में थी और उनका आज पांचवा दिन था सोचा उन्होंने किया होगा… क्योंकि नंबर नया था .. उस वक़्त कॉल रेट भी ज्यादा थी तो सोचा कलकत्ता से किसी का माँग के किया होगा…

और हेल्लो के बाद कोई हेल्लो नहीं आई तो बोला …कब आ रहे हो कब छुट्टी मिलेगी उधर से…. सारा घर अकेली को खाने दौड़ता है… और फोन कट जाता है…

अब कुछ ही देर में उसी नम्बर से कॉल आती है… एक मन हुआ उठाऊँ एक मन हुआ नही फिर उठा ही लिया.

हेल्लो अंगूरी देवी…

बोलो रात में भी इस बुढ़िया को टिकने न देना….

कैसे टिकने दे जी .. जिसकी आवाज़ ने नींदे उडा दी… वो देखने में कैसी होगी…

मन में सोचूँ इसको क्या हुआ अचानक…

और बोली सफ़ेद बाल एक आँख से बहंगी हूँ रंग सांवला और 5 फूट की 96 किलो की हूँ बेटा…

कोई न दादी हम तो फिर भी दीवाने हो गए….

मैंने फोन काट दिया… और स्विच ऑफ़ कर दिया…

2 ही दिन इनके आने के बचे थे और सोचूँ क्या मुसीबत मोल ले ली बैठे बिठाये…

सुबह फोन ऑन किया और ऑन करते ही बज उठा.. जैसे मेरे फोन ऑन करने के इंतज़ार में ही बैठा था… पर स्कूल के लिए लेट हो रही थी तो इग्नोर कर दिया. स्कूल में फोन म्यूट पर रहता था. घर आई कपड़े बदले और लेट गयी… शाम हो गयी फोन का ख्याल आया .. देखूँ कोई जरूरी फोन तो नहीं आया… और चौंक गयी…. 96 मिस्ड कॉल उफ्फ्फ्फ़…

क्या पागलपन था ये.. किस सनकी से टकरा गयी… और फिर चाय बनाने गयी तो फोन आ गया… फोन रिसीव किया और सीधा डांट लगा दी कि ये सब क्या है क्या पागलपन है तलाक करवाना है क्या मेरा…?

अरे नहीं दादी डार्लिंग .. आज यूं ही ख्याल आया कि आपके वजन के बराबर कॉल करके गाना सुनूंगा…

और मेरी इतने दिनों की दबी हँसी छुट गयी उसके आगे…. और उसके मुँह से उफ़्फ़ निकला….

तभी मैंने पूछा कुछ काम नहीं करते क्या.. खाली हो जो इतने फोन…

करता हूँ न, अच्छी जॉब है, बताई तो थी पर जब से बात हुई हैं आप से काम करने को मन नही करता. आपकी रिकॉर्ड की आवाज़ सुनता रहता हूँ… इतनी नशीली आवाज़ भी होती है क्या किसी की ..पर होती है आपसे बात करके पता चल गया और ऊपर से उफ़ ये हँसी आपकी तो हँसी में भी नशा है. यूं ही कंजूसी करती हो हँसने में.. अपने लिए न सही किसी को सुकून देने के लिए हँस दिया करो दादी जान….

और मैं चुप हो गयी उदास सी …और पूछा कब की कंजूसी… और क्या इतने दिन मैं आज हँसी सुनी है…

और सुनो अंगूरी डार्लिंग तुम्हारा नाम अंगूरी तो नहीं पर अंगूरी ही कहूँगा अब तो… चलो रात को फोन करूँगा…

अरे बस बहुत बोल लिया गुलाम नहीं हूँ जो तुम कहोगे वो ही करूँगी और शाम को मेरे पति आ जाते हैं प्लीज़ अब कोई फोन न करना…..

ओह्ह्ह ओके दादी ऊऊम्ह्ह्ह्ह्….

ये क्या बकवास है शरम करो कुछ और कह के मैंने फोन काट दिया … और अपनी चाय ले कर बालकनी में आ गयी…..

क्रमश:

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