1. जो सविंधान अंग्रेजों ने ( government of Indian act 1935) हमें लूटने के लिए बना लिया था उसी को संविधान बनाने वालों ने इधर उधर फेरबदल करके पूरी तरह से अपना लिया.
2.. कहा जाता है कि इसको बनाने में 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे. लेकिन हकीकत है कि सभा ने सिर्फ 166 घंटे ही संविधान बनाने के लिए काम किया था. इस हिसाब अगर 8 घंटे /दिन काम हो तो सिर्फ 20 दिन में ही सविंधान बन गया था, दुनिया का सबसे बड़ा संविधान सिर्फ 20 दिन में बन गया है ना आश्चर्य की बात ??
3.. संविधान के अनुसार भारत धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन भारत की परम्परा के अनुसार कोई भी देश धर्म निरपेक्ष नहीं हो सकता है बल्कि पंथ और सम्प्रदाय निरपेक्ष हो सकता है. मनु समृति में धर्म के 10 लक्षण दिए गए हैं. जो उनको अपनाये धार्मिक है भले ही वो किसी भी धर्म या जाति का हो. क्या संविधान निर्माताओं के पास इतना भी धर्म का ज्ञान नहीं था जितना हमारे जैसे छोटे मोटे लोगों को हैं ?
4.. कहा जाता है कि संविधान बड़े ही दूरदर्शी और देशभक्त लोगों ने बनाया था. लेकिन अगर बनाने वाले इतने ही दूरदर्शी थे क्यों इसमें महज 62 सालो में 97 संसोधन करने पड़ गए हैं? रही बात देशभक्ति की तो हिंदी के साथ साथ सविंधान को अंग्रेजी में क्यों लिखा गया? क्या भारत में और कोई समृद्ध भाषा नहीं थी जिसमें सविधान को लिखा जा सकता था?
5..आदरणीय अम्बेडकर साहब ने 1953 में राज्य सभा में जमकर विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि हमारे शहीदों के आशाओं पर ये संविधान खरा नहीं उतर पाएगा इसलिए इसे दुबारा बनाना चाहिए.
हमारा महान संविधान देश के 70 % लोगो के लिए रोटी का इंतजाम नहीं कर पा रहा है बाकी की बातें तो बहुत दूर की हैं, ये देश हज़ारों सालों तक पवित्र गीता द्वारा दिखाए मार्ग पर चला और विश्व गुरु बनने में कामयाब रहा है, देखिये तो सही हज़ारों साल पुराने ग्रन्थ में कहीं कोई ऐसी बात नहीं जिसका संशोधन किया जा सके, ये है भारत की महान परम्परा जिसको हम भूल गए हैं.
ध्यान रखिये जो दुःख व्यवस्था जनित हो उसको किसी भी प्रकार से दूर नहीं किया जा सकता है !!
जय भारत, वन्देमातरम, भारत माता की जय, जय हिन्द.. !
– रोहित त्रिवेदी