‘हमारी क्रांति का सब से बड़ा फायदा कि हमारे देश में वेश्याएं भी कॉलेज ग्रेजुएट’

भारतीय वामपंथियों के पूजनीयों में जिनकी गणना होती है ऐसे आखिरी आइकॉन फिदेल कास्त्रो, मार्क्सलोक सिधार गए.

कास्त्रो उवाच – “मैं अपनी दाढ़ी काटने की सोच नहीं रहा हूँ क्योंकि मुझे उसकी आदत हो गई है और मेरी दाढ़ी मेरे देश के लिए बहुत अर्थपूर्ण है. जब हम एक अच्छी सरकार देने का अपना वादा पूरा करेंगे तो मैं अपनी दाढी काट दूंगा.”

जैसे कि आप ने देखा ही होगा, उनकी य्य्ये लम्बी दाढ़ी थी. ईमानदार व्यक्ति थे. अच्छी सरकार कभी नहीं दे पाए 58 सालों की निरंकुश तानाशाही के बावजूद, सो उन्होंने अपनी दाढ़ी नहीं उतारी.

I’m not thinking of cutting my beard, because I’m accustomed to my beard and my beard means many things to my country. When we fulfill our promise of good government I will cut my beard.
(Castro in a 1959 interview with CBS’s Edward Murrow, 30 days after the revolution.)

“हमारी क्रांति का एक सब से बड़ा फायदा ये है कि हमारे देश में वेश्याएं भी कॉलेज ग्रेजुएट होती हैं”

One of the greatest benefits of the revolution is that even our prostitutes are college graduates.
(Castro to director Oliver Stone in 2003 documentary ‘Comandante.’)

इसको इस तरह भी देख सकते हैं कि कास्त्रो के क्यूबा में कॉलेज ग्रेजुएट महिलाओं को वेश्या बनाने के अलावा और कोई काम ही नहीं मिल सकता था.

येनकेन प्रकारेण पूंजीपति अमेरिका में घुसपैठ करनेवाले लैटिन अमेरिकन देशों के नागरिकों में कम्युनिस्ट क्यूबा के नागरिकों का स्थान अव्वल है. कम्युनिस्ट किरांती की सफलता का इस से बड़ा सबूत क्या हो सकता है?

वैसे कास्त्रो एक सच्चे वामपंथी थे इसकी पहचान इस बात से होती है कि वे एक नंबर के ठरकी थे.

सुबह एक, शाम को एक, अलग अलग लगती थी ऐसी कथाएँ हैं, और सुना यह भी जाता है कि 82 साल की उम्र तक वे एक्टिव थे.

ऐसा भी नहीं कि केनेडी की तरह महिलाएं उन पर खुद को कुर्बान करती थी, इन्होने अपनी सत्ता का भरपूर दुरुपयोग किया.

हो सकता है कि यहाँ के वामी कह दे कि उनके बारे में 35000 महिलाएं भोगने की जो संख्या बतायी जाती है वो कुछ बहुतै ज्यादा है लेकिन एकपत्नीव्रती होने का सर्टिफिकेट तो वामी भी नहीं दे पायेंगे.

फिर भी यह व्यक्ति वामियों के लिए आइकॉन है. बस, उसकी निंदा की तो सर तन से जुदा की बात नहीं कर सकते, बाकी भावनाएं उनकी भी आहत तो होती ही होंगी….

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति मेकिंग इंडिया ऑनलाइन (www.makingindiaonline.in) उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार मेकिंग इंडिया ऑनलाइन के नहीं हैं, तथा मेकिंग इंडिया ऑनलाइन उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

Comments

comments

LEAVE A REPLY