इन दिनों सोनम गुप्ता को लेकर हमारे भाई लोगों ने बहुत शोर मचा रखा है और एक ‘सोनम वांगचुक’ है जिन्हें देश में कम लोग ही जानते हैं. आपको फ़िल्म थ्री इडियट्स में ‘फुनसुक वांगडु’ का किरदार तो याद होगा. फ़िल्म का ये किरदार सोनम वांगचुक से ही प्रेरणा लेकर रचा गया था.
वांगचुक भारत में कृत्रिम हिम स्तूप ग्लेशियर अविष्कार के लिए जाने जाते हैं. 25 साल पूर्व वांगचुक ने इस दिशा में प्रयास शुरू किए थे. लद्दाख क्षेत्र में कम होते ग्लेशियर और गर्मी के मौसम में पानी की कमी की परेशानी दूर करने का उपाय उन्हें कृत्रिम ग्लेशियर के निर्माण में नज़र आया. पहले चपटे ग्लेशियर बनाए, जो जल्दी पिघल जाया करते थे.
वांगचुक को इस समस्या का हल लद्दाख में बने स्तुपाकर मंदिरों में नज़र आया. उन्होंने नई तकनीक से ‘हिम स्तूप’ बनाना शुरू किया. ये प्रयास सफल रहा. ये नए किस्म के ग्लेशियर अब जल्दी नहीं पिघलते थे.
गर्मी के मौसम में भी ये बूंद-बूंद टपकते थे. इस प्रयोग के सफल होने के बाद लद्दाख के लोगों की पानी की समस्या हल होने लगी और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की मुहीम रंग लाने लगी. फ़ोटो में दिख रहे ग्लेशियर 100 हेक्टेयर में बनाया गया और वांगचुक को इसके लिए लॉस एंजिलिस में रोलेक्स अवार्ड से नवाजा गया.
2017 में स्विट्जरलैंड सरकार ने वांगचुक को अपने यहाँ ऐसे ही हिम स्तूप बनाने का काम दिया है. गर्व है हमें कि एक भारतीय जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैज्ञानिक ढंग से लड़ रहा है.
और अंत में
50 वर्षीय सोनम वांगचुक लद्दाख में शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चुल परिवर्तन ले आए हैं. अब लद्दाख में बच्चे रट्टू तोता नहीं बने हुए हैं बल्कि प्रयोगात्मक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. फ़िल्म थ्री इडियट्स में बच्चों के स्कूल को देखकर मैंने सोचा था कि काश सच में ऐसा होता. लेकिन मैं नहीं जानता था कि पूरी फ़िल्म में जो कुछ दिखाया गया, दरअसल वो काम सोनम वांगचुक सच्चाई के धरातल पर कर रहे थे.
मेरा देश बदल रहा है.