जालंधर में बैंक मैनेजरों द्वारा काला धन सफ़ेद करने के बारे में जो अफवाह उड़ी थी उसके बाद से मेरे पास 20 से ज़्यादा बैंक कर्मी मित्रों के फोन और संदेश आ चुके हैं.
सबने यही कहा कि नोट बदलने का सिस्टम इतना फूलप्रूफ है कि बड़े पैमाने पर घपले की कोई गुंजाइश ही नहीं.
एक-एक नोट और सिक्के तक का हिसाब देना है. न सिर्फ रिज़र्व बैंक, बल्कि पुलिस, आयकर विभाग यहाँ तक कि खुफिया विभाग तक बैंकों, एटीएम के अन्दर-बाहर, भीड़ में और लोगों की लाइन पर नज़र रख रही है.
निगरानी का स्तर ये है कि लोगों की लाइन में इनकम टैक्स और खुफिया विभाग (IB) के लोग खड़े सूंघते फिर रहे हैं.
कोई बैंक मैनेजर और बैंक कर्मी किसी सेठ का लाख-दो लाख रूपए तो कमीशन ले के एडजस्ट कर सकता है पर करोड़ों का घपला करना संभव नहीं है.
इसमें भी पकडे जाने की संभावना प्रबल है और सरकार की नीति zero tolerance की है. जो पकड़ा गया वो जेल जाएगा और नौकरी से भी जाएगा.
सरकार की मंशा में, नीयत में कोई खोट नहीं.
जहां तक बात चोरी-चकारी, उठाईगिरी की है तो भैया ये तो हमारा राष्ट्रीय चरित्र है.
अब इसको तो मोदी जी रातों रात बदल नहीं सकते.
घर में आग लगी हो तो पूरा मुहल्ला बुझाने चला आता है…. अब उसी में कुछ चोर लगे हाथ मौक़ा देख के हाथ भी साफ़ करेंगे ही…. चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए.
पर ये काले धन वाले, सब कोशिश करके भी क्या बचा लेंगे? कितना बचा लेंगे? 90% काला धन रद्दी में तब्दील होना तय है.
जहां तक बात नगदी की logistics की है तो ये जान लीजिये कि इतने बड़े मुल्क में इतने बड़े पैमाने पर इतना ज़्यादा कैश, देश के दूर दराज इलाकों तक पहुंचाना, दुर्गम इलाकों तक पहुंचाना, जहां न रास्ते हैं, न संसाधन, नक्सली इलाकों में, आतंकवाद से प्रभावित इलाकों में…..
पूरी सुरक्षा के साथ कैश पहुंचाना और एक साथ, एक ही समय पर पहुंचाना…. ये इतनी बड़ी इतनी बड़ी कवायद है कि आप इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते.
आज से दो-चार महीने बाद जब ये कवायद ख़त्म हो जायेगी और जब इसकी समीक्षा होगी तब जाकर पता चलेगा कि ये अपने आप में एक ऐसा काम हुआ जिसकी कोई मिसाल आज तक दुनिया के किसी मुल्क में कोई नहीं….
इतने बड़े पैमाने पर छोटे नोट यानी 100 और 50 के नोट पूरे देश में बैंकों तक पहुंचाना और पुराने नोटों को वापस रिज़र्व बैंक को सुपुर्द करना…. यूँ समझ लीजे कि कुम्भ का मेला है.
मोदी जी ने जो निर्णय लिया है, यदि वो इसमें सफल रहे तो वो इस सदी के महानायकों में गिने जायेंगे.
जहां तक बात विपक्ष के नेताओं की है, तो उनकी बौखलाहट सिर्फ नोट बंदी को ले के नहीं है.
वो आने वाले कल को लेकर आशंकित हैं, जब अगला वार उनकी संपत्तियों पर होगा…. विपक्ष अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.