सोनम गुप्ता मामले में एक अच्छी खबर है कौशाम्बी से. वहां इसी नाम की एक लड़की की शादी इसलिए टूट गयी क्यूंकि कथित तौर पर वर पक्ष को लगा कि यह लड़की भी तो हो सकती है जिसका जिक्र नोट पर है.
अखबार ने इस खबर को ऐसे लिखा है कि उसके बाद मातम पसर गया घर में क्यूंकि शादी की सारी तैयारियां हो गयी थी, कार्ड आदि छप गए थे. सामाजिक परिस्थिति के अनुसार ठीक ही लिखा है अखबार ने लेकिन इसके उलट जरा सोचिये प्लीज़.
लड़के पक्ष का जो परिवार इतना बड़ा हरामी है कि हज़ारों हमनाम में से एक होने के आधार पर वह रिश्ते तोड़ सकता है, शादी हो जाने पर क्या-क्या जुल्म ढा सकता था वह इस लडकी पर, ज़रा गौर कीजिये.
आपको जो कहना है कहिये, लेकिन मैं इसे एक अच्छी खबर के तौर पर देखता हूं. बधाई बहन सोनम, एक ज़ालिम और अमानुष के हाथ लगने से आप बच गयी. नियति ने आपको एक और अवसर दिया है जीने का. धन्यवाद कीजिये सोशल मीडिया का जिसके कारण आप एक गलीज़ खानदान का हिस्सा बनने से बच गयी. साधुवाद सोशल मीडिया.
ऐसे मज़ाक चलते रहना चाहिए ताकि ऐसी ही बहनों का जीवन गलीज़ होने से बचता रहे. ताकि बहनें अपनी छुईमुई जैसे स्वभाव से बाहर निकल कर हंसना-मुस्कुराना सीखें. ताकि शादी ही किसी बहन का एकमात्र लक्ष्य नहीं हो. ताकि उनमें यह ताकत आये कि ऐसे लड़कों को जूते से पीट सके. ताकि देश अपनी विसंगतियों से पार पाए.
ताकि वफ़ा-बेवफा के खांचे से निकल कर उन्मुक्त सांस ले पाए लडकियां. ताकि समाज के सड़े गले ढांचे पर ऐसा ही प्रहार होते रहे. ताकि लड़कियों को आज़ादी की कीमत देने लायक तैयार होने में सहूलियत मिले. ताकि लडकियां यथास्थिति के आनंद से बाहर आयें. ताकि वह विद्रोही बने. ताकि वह कह सके कि हां बे…हूं बेवफा मैं लेकिन तुमसे कम. उखाड़ लो जो उखाड़ना है. ताकि ताकि ताकि ताकि ……………..!