(ये एक काल्पनिक पोस्ट है. सभी पम्प मालिक ऐसा करते हैं, ये नहीं कहा जा रहा, पर जो भी करता होगा वो कुछ ऐसा करता होगा. हालाँकि आज से 5-6 साल पहले तक ऐसा सब करना बहुत आसान था, और अब मुश्किल, शहरों में तो लगभग नामुमकिन सा हो गया है पर देहात क्षेत्र में आज भी आसान है)
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मैं एक पेट्रोल पम्प मालिक हूँ.
मेरे यहाँ डीजल और पेट्रोल बिकता है,और भगवान की दया से खूब बिकता है.
अब मैं सोच रहा हूँ कि कमाई कुछ और कैसे बढे. आखिर एक इलाके के पेट्रोल पम्प की सेल की लिमिट होती है, जो एक निर्धारित उच्चतम सीमा से ऊपर कभी नहीं जा सकती.
[ये है पूरी तरह क़ानूनी और टैक्स फ्री काला धन]
एक और पम्प के लिए बहुत कोशिश की पर मिला नहीं.
अब और क्या करें?
एक दोस्त ने बताया कि थोड़ा सा मीटर इधर-उधर करवा लो. मशविरा सही लगा, करवा लिया.
अब मेरी मशीनें 3% कम नापती हैं, और ये आटे में नमक जितना है जो पता ही नहीं चलता.
पेट्रोल या डीज़ल लेते वक़्त जिस मीटर को आप देख रहे होते हैं, पम्प वाले उससे गिनती नहीं करते सेल की, मशीन की साइड से बड़ा छोटा सा, पुराने ज़माने के स्पीड मीटर जैसा एक मैकेनिकल मीटर लगा होता है, उससे गणना होती है सेल की, जबकि तेल डिजिटल मीटर से दिया जाता है.
अब मैं खुश हूं, पर कुछ दिन बाद और ज्यादा कमाने की इच्छा हुई, अब क्या करें?
किसी ने बताया कि रिफाइनरियों से मिट्टी के तेल के टैंकर आते हैं, जो सरकारी राशन कार्ड और इंडस्ट्रियल यूज के लिए बिकता है.
राशन कार्ड पर अगर मिट्टी का तेल 10 रूपये लीटर है तो खुले बाजार में 50 रूपये लीटर.
तो भाई, हमने एक टैंकर मंगाया मिट्टी के तेल का, जो राशन कार्ड वालों के लिए था.
उसमें कुछ रंग था नीला सा, वो भी सफ़ेद करवा दिया, और रात में एक डीजल के टैंक में 3 हज़ार लीटर डलवा दिया.
एक टैंकर 12 हज़ार लीटर तेल लेकर चलता है, कुल चार पम्प पर वो टैंकर खाली हो गया.
अब मैं खुश हूँ, बहुत ज्यादा कमाई हो गई, लेन देन निपटा के 30 रूपये लीटर का एक्स्ट्रा मुनाफा, मज़ा आ गया.
सारे तेल पूरी तरह बिल से आते हैं, इस पॉइंट पर गड़बड़ की कोई गुंजाईश नहीं. सारा तेल बिल से ही बिकता है, चाहे आप बिल लें या न लें, पम्प वाले को बिल काटना ही है.
पर मैंने कंपनी से मंगाया था 12 हज़ार लीटर, मिटटी के तेल समेत बेच दिया 15 हज़ार लीटर.
अब बिल तो 12 हज़ार लीटर के ही काटे जायेंगे. 3 हजार लीटर का एक्स्ट्रा कैश मेरे पास आया.
इसमें से मिट्टी के तेल का कैश पेमेंट, विभागों को समझना, पम्प स्टाफ को समझने के बाद जो कैश बचा, वो काला धन है.
इसको मैं चाह कर भी सफ़ेद नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसा किया तो मिलावट के जुर्म में जेल जाना पड़ जाएगा.
अब मोदीजी ने और परेशानी खड़ी कर दी, अब इस कैश का क्या करूँ, बहुत परेशान हूँ.
आपको कोई रास्ता समझ आये तो बताइयेगा ज़रूर.