कल माननीय सुप्रीम कोर्ट की एकाएक नींद टूटी और उन्होंने देश की चुनी हुई सरकार और उस सरकार के लोकप्रिय जन नेता मोदी जी से पूछा कि क्या आप देश में दंगा करवाना चाहते हैं?
सवाल पूछने के अलावा अपने AC कमरे में बैठे बैठे ही यह भी बता दिया कि जनता को इस फैसले से गंभीर समस्या है. माननीय,आप जनता के द्वारा चुनी हुई इस सरकार से बार-बार सवाल पूछते हैं, तो अब समय आ गया है जब जनता भी आप से कुछ सवाल पूछना चाहती है.
आप सलमान खान जैसों को सजा दे पायेंगे आपकी इतनी हैसियत नहीं ये देश जानता है!
किन्तु यदि केवल एक रात के लिए ही उसको कोर्ट का समय ख़त्म होने के कारण जेल भेज दिए होते तो हम देशवासियों को कम से कम यह भ्रम तो बना रहता कि देश का कानून अभी भी इमानदार है. पर माननीय आप तो हम जैसों को भेड़ बकरी समझते हैं और इसी कारण रात के 8 बजे तक कोर्ट खोलकर उस को जमानत देते हैं.
तो यकीन मानिए माननीय, हमें हजारों बार अपने किसी काम के लिए लाइन लगाने से ज्यादा पीड़ा आप को खुलेआम एक नौटंकीबाज के सामने बिकते हुए देखने में होती है.
माननीय आप को याद हो या ना याद हो फिर भी आप को याद दिलाता हूँ कि किस प्रकार आप देशद्रोह जैसे जघन्य अपराध में सजा पा चुके संजय दत्त को बार बार पैरोल पे पैरोल देते जा रहे थे.
जब और पैरोल देना कानून के द्वारा संभव नहीं हो पाया तो उसे आप ने सजा से पूर्व ही रिहा कर दिया. और ठीक इसी समय जब एक गरीब जो छोटे मोटे केस में भी बिना सजा पाए जेल में बंद होता है, और उसे अपने माँ बाप के मरने पर अर्थी उठाने जाने की भी इजाजत नहीं मिलती. तब विश्वास करिए नोट बदलने जैसी हजारों लाइनों में लगने से ज्यादा पीड़ा होती है.
110 करोड़ से ज्यादा हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले देश भारत में जब आप अंग्रेजी में याचिका स्वीकार करते हैं और अंग्रेजी में ही कोर्ट रूम में बहस कराते हैं, और अंग्रेजी ना जानने वाली जनता वकीलों और आप के बीच होने वाली उस बातचीत को समझ नहीं पाती जिसके द्वारा उसके भाग्य का फैसला जुड़ा होता है.
और उस पर भी जब आप ये कहते हैं कि 125 करोड़ देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का ठेका आप के हाथों में सुरक्षित है. तो विश्वास करिए इस बार आप पर गुस्सा नहीं हम जैसे भेड़ बकरियों को भी आप पर हँसी आती है.
माननीय जब घर, द्वार, संपत्ति और यहाँ तक कि दो दो पीढ़ियों की उम्र बीत जाने के बाद भी जब आप का फैसला नहीं आता और केस सालों की बजाय शताब्दियों में चलने लगते हैं. जब भी हम अदालत में जाते हैं फैसले के इन्तजार में तो आप की तरफ से जब तारीख पर तारीख ही मिलती है. तो सच कहता हूँ यकीन मानिये हजारों लाइन लगने से ज्यादा पीड़ा होती है.
माननीय जब आप अंग्रेजों के जमाने चोगे और मी लार्ड जैसे संबोधनो से उस देश में नवाजे जाते हैं जहां का संविधान देश के हर नागरिक को बराबरी का अधिकार देता है तब भी हमें दुःख नहीं होता,. किन्तु जब भारत को आजाद हुए 70 वर्ष ही हुए तो आप किस प्रकार अपनी स्थापना का 150 वां वर्ष मनाते हैं?
विश्वास करिए इस गुलामी के स्थापना दिवस का ये उत्सव जब आप आजाद देश में मनाते हैं. तब जनता के दिल पर जो गुजरती है वो सच मानिये आप विश्वास नहीं कर पायेंगे.
खुद को संविधान का रक्षक और लोकतंत्र का प्रहरी समझने वाले आप जब एक महिला इंदिरा गांधी के सामने इस कदर असहाय हो जाते हैं, कि आपातकाल के विरुद्ध फैसला देना तो दूर आप उसके खिलाफ एक शब्द नहीं बोल पाते हैं. तब भी हमारा दिल दुखता है, हजारों लाइन लगाने से ज्यादा दुखता है.
जब आप के कोर्ट में लाखों मुकद्दमे लंबित पड़े रहते हैं. और हजारों अपराधी सड़कों पर खुलेआम घुमते हैं . जब लालू यादव जैसा व्यक्ति सजा पाने के बाद भी चुनाव लड़वाते हैं और किसी राज्य का अघोषित मुख्यमंत्री तक बन जाते हैं.
वहीँ जयललिता जैसी महिला जिसको किसी इमानदार जज के द्वारा सजा दे दी जाती है और आप उस फैसले को रातों रात बदलकर उसको छोड़ देते हैं और वो रातों रात फिर से मुख्यमंत्री जैसे संविधानिक पद पर पुन: बैठ जाती है तो यकीन मानिए भारत का आम आदमी अपनी बेबसी पर रो देता है.
माननीय देश का आम आदमी अब जाग रहा है, उसके अन्दर भी अब समझ विकसित हो रही है. वो अब आप के अनर्गल प्रलाप को सुनने वाला नहीं है. अब समय आ चुका है कि आप भी खुद को आईने के सामने देखें और जनता की भावनाओं को समझें और हाँ ये याद रखें नियम कानून ये सब जनता के लिए बने हैं ना कि जनता इनके लिए बनी है.
और यदि आप के उस आलिशान अंग्रेजों के द्वारा बनायी गयी मोटी दीवालों के महल में आम जन की आवाज पहुँच नहीं रही हो तो आप खिड़की खोल के उस उन्मादी जनता की आवाज को सुनिए जो मोदी के इस फैसले पर उनकी जय जय कार कर रही है.
और हां इस नोटबंदी के बाद से ही जनता ने एक अघोषित नियम सा बना लिया है कि जो नोट बंदी के खिलाफ बोल रहा है, वो देश का चोर है, साथ ही कालाधन का रक्षक है. अब आप को तय करना होगा कि आप जनता के सामने खुद को क्या घोषित कराना चाहते हैं?
और यदि आप ये समझ रहे हो कि इस बार आप को फैसला किसी एक व्यक्ति या एक सरकार के विरुद्ध देना है. जान लीजिये नोट बंदी के मोदी जी के फैसले के साथ हर देशभक्त नागरिक कमर कसके खडा है. और जो इसके लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार बैठा है.
ये दो चार लाइन दिन लाइन में लगना तो बहुत छोटी बात है.