सन 1974 में दो पुरातत्ववेक्ताओं डोनाल्ड जोहानसन और टॉम ग्रे ने करीब 47 हड्डियाँ ढूंढ निकाली. ये एक शरीर के कंकाल का करीब 40% हिस्सा था और मादा शरीर का था. उनके कैंप में बीटल्स का प्रसिद्ध गाना “Lucy in the Sky with Diamonds” बज रहा था उस समय, तो उन्होंने इस मादा कंकाल का नाम भी “लूसी” रख दिया.
कंकाल को जांचा गया तो वो करीब 3.2 मिलियन साल पुराना था. इस कंकाल से होमो सेपियन्स यानि आज के मानव और पुराने ज़माने के बंदरों के बीच की एक जो कड़ी गायब थी वो मिल गई. इस सबूत के आधार पर वैज्ञानिक अब आराम से कह पाते हैं कि इंसान पहले कभी वानर जैसा ही था.
“लूसी” कहते ही हमें एक फिल्म का नाम भी याद आ जाता है. ये एक युवा स्त्री की कहानी थी जो अपने प्रेमी के चक्कर में नशीली दवाओं की तस्करी में लिप्त हो जाती है. प्रेमी मारा जाता है और एक बहुत ही कीमती नशीली दवा को यूरोप भेजने के लिए तस्कर उस दवा को लूसी के पेट के अन्दर सील देते हैं.
मारा मारी में लूसी के पेट पर चोट लगती है और अन्दर उस दवा का पैकेट फट जाता है. इस नशीली दवा के असर से अचानक लूसी की मानसिक और शारीरिक विकास में बहुत तेजी आ जाती है.
उसमें टेलीपथी, टेलीकईनेसिस, और मानसिक तौर पर समय में सफ़र करने जैसे गुण आने लगते हैं. उसकी शारीरिक क्षमताएं भी काफी बढ़ जाती हैं. तो वो अपहृत करके उसके पेट में वो नशा सीने वाले कोरियाई तस्करों को मार कर वहां से फरार हो जाती है.
जब वो अपने पेट के अन्दर से खली पैकेट सर्जरी के जरिये निकलवाने जाती है तो उसे पता चलता है कि उसे लगातार इस दवा की dose ना मिले तो उसकी मृत्यु हो सकती है. लिहाजा लूसी बाकि के जिन लोगों के पेट में ये दवा सिल दी गई थी उन सभी तस्करों को ढूँढने निकलती है.
अपनी नयी पायी हुई ताकतों के जरिये वो एक जाने माने वैज्ञानिक को भी ढूंढ निकालती है जो उसका इलाज़ कर सकता था. वो पेरिस जाकर पुलिस कप्तान से भी संपर्क करती है ताकि बचे हुए तीन तस्करों के पेट से वो दवा निकाली जा सके. रास्ते में ही फ्लाइट में शैम्पेन पी लेने की वजह से उसकी स्थिति तेज़ी से खराब भी होने लगती है.
अपनी बढ़ती हुई मानसिक क्षमताओं की वजह से मिलती जानकारी वो वैज्ञानिक को देती जाती है और वो उसे अपनी लेबोरेटरी के सुपर कंप्यूटर में दर्ज़ करता जाता है.
उधर कोरियन तस्करों का सरदार अपनी पोल खोलने और कई साथियों को मारने वाली इस लड़की की तलाश में जुटा होता है. बढ़ते बढ़ते जब लूसी की मानसिक क्षमता 100% पर पहुँचने लगी तो उसे शरीर एक बंधन लगने लगता है.
काफी कुछ हिन्दुओं की अध्यात्मिक जानकारी जैसा, जिसमें एक स्तर के बाद मनुष्य को शरीर के बंधन की जरुरत ही नहीं होती, वो पुनर्जन्म भी छोड़कर सिर्फ चैतन्य हो जाता है.
ऐसी स्थिति में पहुँचने पर लूसी का चैतन्य उसके शरीर को छोड़कर आस पास के कंप्यूटर, पेन ड्राइव, मोबाइल सबमें जाने लगता है और उसका शरीर ख़त्म होना शुरू हो जाता है. इसी समय कोरियन तस्कर भी लेबोरेटरी में पहुँच जाता है.
जब लूसी का शरीर उसे नहीं दिखता तो वैज्ञानिक से उसे पता चल जाता है कि वो आस पास की चीज़ों में शामिल हो गई है. गुस्से में वो कंप्यूटर को गोली से उड़ा देना चाहता है लेकिन तब तक लूसी का चैतन्य कंप्यूटर में समाने लायक भी नहीं बचा था और गोली जब तक कंप्यूटर पर लगे कंप्यूटर भी ख़त्म होने लगा!
तब तक पीछे से पेरिस का पुलिस दल भी मौके पर पहुँचता है. गोली बारी होती है और कोरियन तस्कर मारा जाता है. अंतिम दृश्य में लूसी के शरीर और कंप्यूटर के बदले बचा हुआ काला सा चूर्ण देखकर इंस्पेक्टर वैज्ञानिक से पूछता है कि लूसी कहाँ गई?
तभी उसके मोबाइल पर एक मेसेज आता है “I am everywhere” और कहीं से लूसी की आवाज़ आती है, “जीवन हमें करोड़ों साल पहले दिया गया था, लेकिन अब जाकर मुझे पता चला है कि इस जीवन का करना क्या है !”
कई लोगों के लिए उद्देश्य उनके बचपन में ही उन्हें पता होते हैं. कुछ के लिए अपने जीवन का उद्देश्य ढूंढना पूरे जीवन का काम होता है, फिर कभी बूढ़े होने पर पता चलता है कि क्या खो गया. हमारे लिए ये एक सतत प्रक्रिया है जिसमें आदमी एक सीढ़ी पर पहुँचने के बाद अगली सीढ़ी के लिए बेचैन होने लगता है.
बाकी जब कोई मशहूर विचारक कहते हैं कि व्यक्ति के लिए दो दिन महत्वपूर्ण होते हैं, एक तो वो जब वो जन्म लेता है, और दूसरा जब उसे पता चलता है कि उसने जन्म क्यों लिया, तो सही ही कहते होंगे.