मोदी टीम का हीरा : मनोहर पर्रीकर

Manohar Parrikar PM Modi
Manohar Parrikar PM Modi

विमुद्रीकरण के बाद मोदीजी ने जनता में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए कई जगह भाषण दिए. तब उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था कि मेरी टीम में कई हीरे और नगीने हैं जिनकी वजह से राष्ट्र तरक्की कर रहा है. उनमें से एक नाम उन्होंने बताया था… रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर.

उन्हीं पर्रीकर ने जब एक कहानी सुनाई तो वो सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी… आइये आप भी पढ़िए मोदी टीम के हीरे की कहानी उन्हीं की जुबानी-

“मैं गोवा के पर्रा गाँव का रहने वाला हूँ इसलिए हमको पर्रिकर बुलाया जाता है. मेरा गाँव तरबूज के लिए बड़ा प्रचलित है. जब मैं छोटा था तो वहाँ के किसान तरबूज खाने की प्रतियोगिता करवाते थे.

गाँव के सभी बच्चों को वहाँ बुलाया जाता था और जितना मन चाहे उतने तरबूज खाने की छूट थी. तरबूज का आकार बहुत बड़ा हुआ करता था.

कुछ साल बाद मैं IIT मुम्बई में इंजीनियरिंग करने आ गया और पूरे साढ़े 6 साल बाद अपने गाँव पंहुचा. सबसे पहले मैं उस तरबूज के मार्केट की खोज में निकला मगर मुझे निराशा हाथ लगी. अब वहां ऐसा कुछ नहीं था और जो कुछ तरबूज थे भी वो बहुत छोटे थे.

फिर मेरा मन किया कि क्यों न उस किसान के घर चला जाये जो वह प्रतियोगिता करवाते थे. अब किसान के बेटे ने खेती अपने हाथ में ले ली थी और वो भी प्रतियोगिता करवाते थे मगर उसमें एक अंतर था.

पुराने किसान ने प्रतियोगिता कराते समय हमसे ये कहा था कि जब भी तरबूज खाओ उसके बीज एक जगह इकठ्ठा करो, और एक भी बीज को दांत से दबाने के लिए मना किया और यही बीज वो अगली बार फसल बोने के लिए इस्तेमाल करते थे.

असल में हमें तो पता ही नहीं था कि हम बिना वेतन उनके बाल श्रमिक बन गए थे जिसमें दोनों का फायदा था. वह किसान अपने सबसे अच्छे तरबूजों को ही प्रतियोगिता में इस्तेमाल करते थे जिससे अगली बार और भी बड़े तरबूज उगाये जा सके.

लेकिन जब किसान के बेटे ने अपने हाथ में बागडोर ले ली तो उन्होंने ज्यादा पैसा कमाने के लिए सबसे बड़े और अच्छे तरबूजों को बेचना शुरू कर दिया और छोटे तरबूज प्रतियोगिता में रखे जाने लगे.

धीरे धीरे तरबूज का आकार छोटा होता गया और 6 साल में पर्रा के अंदर सबसे अच्छे तरबूज ख़त्म हो गए.”

“मनुष्यो में नई पीढ़ी 25 साल में बदल जाती है और शायद हमें 200 साल लग जाये ये समझने में कि हमने अपने बच्चो को शिक्षा देने में कहा गलती कर दी.”

श्रद्धांजलि : हम आनेवाली पीढ़ी को विद्वान, ज्ञानवान और ‘मनोहर’ बनाने को कृतसंकल्पित हैं

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