मुंबई. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आज कहा कि बाबरी मस्जिद को खतरा होने का पुख्ता सबूत होने के बावजूद इसे केंद्र के नियंत्रण में नहीं लाना नरसिंह राव सरकार की तरफ से घातक राजनैतिक भूल थी.
टाटा लिटरेचर लाइव फेस्टिवल में ‘नरसिंह राव : द फॉरगॉटेन हीरो‘ विषय पर परिचर्चा के दौरान पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि वह घटना को महज फैसले में भूल बताकर दरकिनार नहीं करेंगे.
उन्होंने दावा किया कि इस घटना के परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री राव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं का विश्वास खो दिया.
चिदंबरम ने कहा, कई लोगों ने नरसिंह राव को चेतावनी दी थी कि बाबरी ढांचे को खतरा है.
उन्होंने कहा, हमारी सरकार ने एक बयान जारी किया था कि किसी भी परिस्थिति में हम ढांचे को ध्वस्त करने की इजाजत नहीं देंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात करेंगे.
उन्होंने कहा कि बाबरी ढांचे को खतरा अचानक नहीं था और न तो कारसेवकों की तरफ से यह स्वत: कार्रवाई थी.
उन्होंने कहा, रामेश्वरम से पत्थर लाए जा रहे थे और वे ट्रेन से यात्रा कर रहे थे. समूची ट्रेन को बुक किया जा रहा था. हर कोई जानता था कि लाखों लोग जुटेंगे.
दिवंगत पार्टी नेता राव पर प्रहार करते हुए चिदंबरम ने कहा, हमें हर दिन सबूत मिल रहे थे, हम सभी को कारसेवकों की योजना के बारे में मालूम था.
उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक फैसलों से जुड़ा हर शख्स कह सकता था कि वहां बाबरी ढांचे को गंभीर खतरा था, नहीं तो वहां कुल्हाड़ियां और हथौड़े क्यों लाए गए थे.’
घटना के 24 साल बाद सलाह देने के अंदाज़ में चिदंबरम ने कहा, राव को अर्धसैनिक बलों और सेना की मदद लेनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा, राव को यह बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहिए था कि बाबरी ढांचे का क्षेत्र केंद्र सरकार के नियंत्रण में है.’
सोनिया गांधी के करीबी चिदंबरम ने कहा, ‘अर्धसैनिक बलों को तैनात नहीं किया जा सका और न ही यह कहा गया कि क्षेत्र केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. यह एक घातक राजनीतिक भूल थी, जिसके नतीजे देश के लिए विनाशकारी साबित हुए.’