ये है पूरी तरह क़ानूनी और टैक्स फ्री काला धन

मान लीजिये आप किसी राज्य सरकार के किसी असरदार के करीबी हैं.

आपको खबर मिलती है कि फलां-फलां शहर से फलां-फलां शहर तक एक नई लंबी रोड बनने वाली है.

इसके अनुमानित नक़्शे की जानकारी मिल जाती है, जिसमें किस इलाके का कौन सा चक (खाता खतौनी में जमीन को चक कहा जाता है) अधिग्रहित होना है.

ये जमीन शहरों के पास, हाई वे पर, या जंगल के बीच भी हो सकती है.

अधिग्रहण के दौरान सर्किल रेट से 4 गुना पैसा मुआवजे में देने का प्रावधान है.

अब आप या आपका कोई सहयोगी बड़े स्तर पर जमीन गुपचुप खरीदना शुरू करता है, सर्कल रेट पर या उससे 4 गुने से कम किसी भी कीमत पर.

और ये काम 3-4 साल पहले से शुरू किया जाता है.

जितने लोग बेचें, जितनी ले सकें, जितनी सामर्थ्य हो.

और जब सरकार अधिग्रहण की घोषणा कर देती है तब उस इलाके की रजिस्ट्रियों पर बैन लगा दिया जाता है, पर जो पहले ले चुके वो ले चुके.

चूँकि ये खेतिहर जमीन होती है इसलिए जिस किसान से आपने ली उस पर कोई भी टैक्स देय नहीं है, आपको जो मुआवजा मिलेगा वो भी टैक्स फ्री है.

सारा पैसा आपके बैंक अकाउंट में पहुंचेगा और पूरी तरह लीगल और टैक्स फ्री है.

अब बताइये, ये काला धन कैसे हुआ?? नहीं हुआ.

जो आप समझते हैं कमीशन, दलाली काला धन है, वो तो इन सब चीजों का बहुत छोटा हिस्सा है.

असलियत में तो ऐसा कितनी और जगह होता होगा, हम-आप अंदाज़ तक नहीं लगा सकते.

संदीप बसलस

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