एक शानदार प्रयोग! लोग किस तरह से सहायता के लिए अलग-अलग ‘आइडिया’ लेकर आ रहे है, आश्चर्य होता है. भारतीयों के इस जज्बे को सलाम.
सुदूर असम के सिलचर शहर में कुछ युवा उद्यमियों ने जब देखा कि 2 हजार के छुट्टे (फुटकर) न मिलने से निम्न वर्ग को परेशानी हो रही है तो उन्होंने इस समस्या का एक अनूठा समाधान निकाला.
कुछ युवा इकट्ठा हो कर डिप्टी कमिश्नर से मिले और लोगो की परेशानी से अवगत करवाते हुए उनसे अनुरोध किया कि उन्हें सार्वजनिक रूप में नए दो हजार के नोट के छुट्टे बांटने की अनुमति दें.
कमिश्नर ने पूछा कि आप लोग इतने छुट्टे रुपयों की व्यवस्था कैसे करेंगे?
इस पर युवकों ने कहा कि वे उद्यमी हैं और बाजार में उनकी गुडविल है. वे बड़ी दुकानों से फुटकर नोट एकत्रित करेंगे और बदले में 2 हजार के नोट उन्हें वापस कर देंगे.
अनुमति मिलने के बाद इन युवकों ने विभिन्न शॉपिंग मॉल सहित अन्य दुकानदारों से अनुरोध किया कि वे स्वेच्छा से फुटकर रुपये उन्हें दें.
बस क्या था, देखते ही देखते 6 लाख रुपये इकट्ठे हो गए. इसके बाद कैम्प लगा कर हर ज़रूरतमंद व्यक्ति को 2 – 2 हजार के छुट्टे रुपये वितरित किये गए.
इसके बदले में जो रुपये बड़े नोट के रूप में इकट्ठे हुए उन्हें फुटकर देने वाले लोगों को सधन्यवाद लौटा दिया गया.
अब यह क्रम बन गया है. मैं, प्रमोद शर्मा, ललित बोथरा, राजू बैद, मूलचंद सांड, धीरज चोपड़ा, पंकज नाहर, शान्ति सेखानी जैसे इन उत्साही युवको को सलाम करता हूँ.
देश जिस बदलाव की पीड़ा से गुजर रहा है, उस दर्द को कम करने में ये युवा अपनी सकारात्मक भूमिका निभा रहे है, यह उत्साहवर्धक है, प्रेरणादायी है.
मेरा भारत बदल रहा है.
स्रोत : संजय बेंगाणी की फेसबुक पोस्ट