सबसे पहला और महत्वपूर्ण बदलाव होगा कि बैंकों में लगभग 50% से अधिक धन आ जायेगा. वह धन जो घरों में पड़ा रहता है नोटों की शक्ल में, कभी भी देश की अर्थव्यवस्था में योगदान नहीं देता है.
अभी मैं मात्र घर में बचत के बारे में कह रहा हूँ. अब रही बात जो काला धन है कुछ हद तक तो वह धन सरकार के नियमों के तहत बैंकों में आएगा. इन दोनों के कारण बैंकों में पैसा आ जायेगा.
अब आइये बैंकों के काम को समझें बैंकों का काम है जो धन उसके पास आये उस पर जमा करवाने वालो को ब्याज दे और वही धन अधिक ब्याज पर किसी उद्योग या व्यापार के लिए दे दे.
आज तक क्योंकि बैंक में धन नहीं था इसके लिए बहुधा असली आवश्यकता वाले को धन नहीं मिल पाता है और अर्थव्यवस्था लड़खड़ा जाती है. अब उस व्पापारी को धन मिल पायेगा.
दूसरा परिणाम यह होगा कि ब्याज दर में कटोती हो जाएगी तो सस्ते दर पर ब्याज मिल जायेगा. इससे हमारे उद्योग अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में हिस्सा ले लेंगे.
आज विदेशों से आने वाला उद्योगपति अपने देश से 1-2 % ब्याज पर धन ला कर व्यापार करता है और भारतीय उद्योगपति 12-15 % ब्याज पर पैसा प्राप्त करता है और इसीलिए भारतीय व्यापारी उससे मुकाबला नहीं कर पाता है.
और इसी कारण सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी जिससे मूलभूत व्यवस्थाएं करने में सरकार सक्षम हो जाएगी. सरकार का राजकोषीय घाटा घट जाएगा जो आज बजट के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी है.
यह तो था इसका प्रधान लाभ अब इसके परोक्ष लाभ को समझें. हमारे देश में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में आतंकवाद के काम cash पैसे से होते हैं.
बैंक से काम नहीं किया जाता है पहले ऐसा नहीं था पर आप समझें कि 9/11 के बाद अमेरिका में एक भी हादसा नहीं हुआ कारण यह था कि अमेरिका ने आतंकवादियों के बैंक अकाउंट बंद कर दिए अब जब पैसा नहीं है तो आतंकवादी घटनाएं लगभग असंभव हो जाएँगी.
जम्मू और कश्मीर में पिछले 10 दिनों से आप इसका प्रभाव देख सकते हैं इसी प्रकार नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में भी नक्सल घटनाओं में गिरावट देखी गयी है.
तीसरा बड़ा प्रभाव है कि मकानों की कीमत पर. आज काले धन की सबसे अधिक खपत real estate और सोने में होती है तो जब कैश नहीं होगा तो मकानों की कृत्रिम रूप बढ़ी कीमत घट जायेगी और ईमानदार व्यक्ति को मकान असली कीमत पर मिल जायेगा.
परन्तु इसकी अभी मात्र शुरुआत है और यह कितनी कीमतों को कम करेगा इसका आंकलन सही सही लगभग मार्च महीने के बाद होगा. आम आदमी के सपनों को अब साकार किया जा सकेगा.
चौथा प्रभाव सोने के आयत पर पड़ेगा. इस साल RBI के आंकड़ों के अनुसार 2 लाख करोड़ का सोना आयात किया गया जबकि 24000 करोड़ की चाँदी आयात की गयी. 1.31 लाख करोड़ के कीमती पत्थर और 2.6 लाख करोड़ के इलेक्ट्रानिक सामान आयात किये गए जबकि पेट्रोल का कुल आयात 5.1 लाख करोड़ है.
इसमें पेट्रोल के अतिरिक्त जितने भी आयात वह सब काले पैसे से खरीदे जाते हैं. क्योंकि सुनार की दुकान पर अधिकतर काम कैश पर ही होता है.
और ध्यान दीजिये कि हमारा कुल आयात 24 लाख करोड़ है. यदि सोना और गैर ज़रूरी आयात कम होगा तो कम से कम 10-15% की कमी हो जाएगी और हमारा विदेशी पूँजी का घटा कम हो जायेगा क्योंकि अभी हमारा 17 लाख करोड़ का निर्यात है. इसका परोक्ष लाभ यह होगा कि डॉलर रुपये के सामने स्थिर हो जायेगा.
अब इसी प्रकरण से भारत के अधिकाँश लोग बैंकिंग सिस्टम से जुड़ जायेंगे. दरअसल सरकारों ने बैंक से जोड़ने के लिए जन धन खाता और इस प्रकार कि कई योजनायें बनाई पर हम 70 वर्षों से कैश का मोह नहीं त्याग पाए.
पूरे अमेरिका में 100 डॉलर से बड़ा नोट नहीं है, जब वहां 1 लाख डॉलर तक का नोट था तो एक ही रात में उसे बंद किया गया यह कह कर कि यह क्राइम और काले धन को बढ़ावा देता है.
यह 70 के दशक में हुआ इसी प्रकार 500 यूरो का नोट भी बंद किया गया इसी कारण से. अंतिम रूप से यह होगा है यहाँ का कlला पैसा बनना रुक जाएगा.