दुर्भाग्य की बात है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर विमुद्रीकरण के प्रभाव पर कोई विमर्श कहीं ठीक से नहीं हुआ. पर इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है. जिनके पेट पर लात लगी है उनका बिलबिलाना, जनता को भड़काना, अफ़वाहें फैलाना स्वाभाविक है, समझ में आता है.
इसमें केजरी, ममता, माया, मुलायम, राहुल जैसे लोग, मीडिया के लोग शामिल हैं. पर तथाकथित बुद्धिजीवियों को क्या हो गया है? उनको क्यों साँप सूंघ गया है? शायद उनके दिलोदिमाग़ में सिर्फ चीखोपुकार के लिए जगह बची है. जनवादी, क्रांतिकारी लोग हैं, नारा क्रांति के विशेषज्ञ हैं.
मैं अर्थशास्त्री नहीं हूँ, सामान्य नागरिक हूँ. पर मेरी समझ से इस एक क़दम से भारतीय अर्थव्यवस्था में तात्कालिक और दूरगामी क्रांतिकारी परिणाम होंगे. इस हल्ले गुल्ले की धूल एक महीने में सेटल हो जाएगी और उसके बाद धीरे धीरे लोगों को शायद समझ में आए कि देश में क्या हुआ है.
यह तो स्पष्ट सी बात है कि दो चार लाख करोड़ की काली मुद्रा तुरंत राख हो जाएगी. यही अपने आप में इस क़दम को जस्टिफाई करने के लिए पर्याप्त है.
पर यह तो सिर्फ शुरुआत है. और भी और शायद इससे भी बड़े परिणाम देखने को मिलेंगे जो अर्थव्यवस्था का सारा का सारा मंज़र ही बदल डालेंगे. यह बहुत बड़े ढाँचागत बदलाव की शुरुआत है. सुविधा के लिए मैं इन्हें यहाँ itemise करता हूँ.
1. अर्थव्यवस्था में सांस्कृतिक परिवर्तन. लोगों की आदतें बदलेंगी. नक़दी का चलन कम होगा और लोग चेक और डेबिट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अधिक से अधिक करने लग जाएँगे. इससे नये काले धन का जखीरा बनने के रास्ते में बाधा आएगी.
2. काला धन का धंधा करने वालों में भय का संचार.
3. राजनीतिक दलों की फ़ंडिंग में काला धन पर प्रहार और पारदर्शिता का चलन. राजनीतिक दल और काला धन के व्यापारियों की साँठगाँठ पर मारक हमला.
4. रीयल स्टेट में भ्रष्टाचार का और अपराध का जाल फैला हुआ है. बल्कि देश का अधिकांश काला धन रीयल स्टेट में ही लगा है. मैं अपना उदाहरण देता हूँ, पैसा होते हुए भी मैं बनारस में आज तक जमीन नहीं ख़रीद पाया.
ऐसा क्यों हुआ, क्योंकि जमीन का सारा व्यापार काला बाजार पर आधारित है, कोई पारदर्शिता नहीं है. सामान्य आदमी transaction करने में डरता है.
इस क़दम से एक बार में भ्रष्टाचार का सारा जाल टूटेगा. जमीन, मकान का दाम गिरेगा और सरकार को सही टैक्स मिलेगा.
5. सरकार के खाते में पहले से बहुत अधिक धन आएगा जिसका इस्तेमाल सड़क, रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाओं के आधुनिकीकरण में लगेगा.
6. बैंकों का आधुनिकीकरण . इस देश में सत्तर वर्षों से सरकारों की पैसा बाँटने की अर्थनीति के कारण बैंक दीवालिएपन की कगार पर हैं. एक बार बैंक दिवालिया हुए, सारी अर्थव्यस्था चरमरा कर गिर जाएगी. बैंकों में पैसा आएगा, उनके बैलेंस शीट मजबूत होंगे और वे अपना काम ठीक से कर सकेंगे. नए व्यापारियों को क़र्ज़ मिलेगा, कारोबार बढ़ेगा.
7. सारी दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख बढ़ेगी. विदेशी निवेश के लिए आवश्यक फ़्रेमवर्क मजबूत होगा.
8. आतंकवाद और उग्रवाद की कमर टूटेगी.
9. सामान्य अच्छे लोगों में भी काला धन में transaction की जो आदत पड़ गई है, जो उनके जीवन का अंग बन गया है, वह आदत बदलेगी. सब कुछ बाहर आएगा, साफ होगा.
To summarise, this is the beginning of a virtuous circle in Indian economy.
– प्रदीप सिंह