एक फिल्म है NOW YOU SEE ME मैं कोई पांच बार देख चुका हूं और कम से कम इतनी ही बार और देखूंगा, पहली बार कोई फिल्म आई है जो जादू के मूल सिद्धांतों पर आधारित है.
पता है जादूगर जादू कैसे करता है, बहुत आसान विधि से केवल आपका ध्यान बंटाकर, अब मुश्किल सवाल यह है कि आपका ध्यान किस प्रकार बंटाया जाए, जिसे यह विधि आती है वह सफल जादूगर होता है.
हर किसी का ईगो होता है, उस ईगो को बचाए रखने के लिए इंसान होशियार बनता है, हर किसी की होशियारी की अपनी परास होती है, आप अपनी पूरी सजगता और होशियारी से जादूगर का पीछा करते हैं, लेकिन सफल जादूगर को पता है कि आपको किस ओर लेकर जाना है और कितनी दूरी बनाकर रखनी है.
कई बार एक दो या कई बार सात स्टेप्स तक जादूगर आपसे आगे होता है. जादूगर आपके सामने विकल्प रखता है, आप विकल्पों में उलझते हैं और स्मार्ट च्वाइस करते हैं, वास्तव में केवल वही च्वाइस करते हैं जो जादूगर आपसे करवाना चाहता है.
आखिर में जब जादू घट रहा होता है तब आपके पास भौच्चक होकर उस दृश्य को देखने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है. सहिष्णु लोग तालियां बजाते हैं, कला के पारखी वाह वाह करते हैं और जिन लोगों का ईगो हर्ट होता है वे बुरी तरह बिलबिलाते हैं.
जन धन खाते खोलना, डिक्लेरेशन के लिए लोगों से आग्रह करना और आखिर में पांच सौ और एक हजार के नोट बंद कर देना.
एक कोण से देखा जाए तो यह केवल एक कठोर निर्णय दिखाई देता है, लेकिन नहीं यह भी ध्यान बंटाने का जरिया मात्र दिखाई देता है, क्योंकि जादूगर इससे आगे निकलता है और देश के लोगों से भावुक अपील करता है कि कृपा कर मुझे केवल पचास दिन दे दीजिए.
कमाल है, सबसे कठोर निर्णय लेने वाला जनता के सामने भावुक क्षण लेकर आता है, यानी अभी डिसेप्शन का खेल चल रहा है, ध्यान बंटाने का दौर जारी है, आगे और बड़ा जादू होने वाला है.
हो सकता है आपका ईगो हर्ट हो, लेकिन तैयार रहिए, जादूगर जिस रस्ते आपको ले जाना चाहता है आप उसी रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं, क्योंकि यहां जादूगर आपसे एक दो नहीं सात कदम तक आगे चल रहा है.
अभी विदेशी दौरों के परिणाम भी सामने नहीं आए हैं, सेनाध्यक्षों से मुलाकात के अर्थ भी स्पष्ट नहीं हुए हैं, अपनी ही पार्टी को डैमेज करने के कारण भी स्पष्ट नहीं हुए हैं.
अपना वजीर शहीद उसी सूरत में किया जा सकता है, जब भरोसा हो कि आगे प्याद मात की जा सकती है.
इंतजार करो दोस्तों मोदीजी का जादू का खेल जारी है…