हे राजन,
नोट बंदी के विरोध में सिर्फ विरोधी दल हैं!
वो भी क्यों, गली के बच्चे को भी पता है!
इसलिए झुकना नहीं है, रुकना नहीं है!
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‘लाइन पर’ आया माफिया
हिंदुस्तान की आम जनता तो सदियों से लाइन में खड़ी होती आयी है!
नोट बंदी के कारण यह पहली बार हुआ है कि भू माफिया, ड्रग माफिया, टेरर माफिया, गोल्ड माफिया, एजुकेशन माफिया, मीडिया माफिया, राजनीतिक माफिया और धर्म माफिया ‘लाइन पर’ आया है!
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अधूरी रिपोर्टिंग
खबर बेचने वालों, एक बार फिर तुम्हारी रिपोर्टिंग अधूरी है!
ये जो बैंकों के सामने लंबी-लंबी कतारों को दिखा रहे हो, उसमे गरीब और मज़दूर तो खड़ा है,
मगर पैसा उसका नहीं बल्कि सेठ का है, वो तो आजकल दिन में कई दिहाड़ी बना रहा है!
उसके दिल से एक बार पूछो कि वो कितना खुश है कि सेठ की तिजोरी तो कम से कम खुली!
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यही है कलयुग की परिभाषा
नोट बंदी का विरोध करते-करते, काले धन और भ्रष्टाचार के समर्थन में इतना खुल कर विरोधी राजनेताओं का सड़कों पर आना हैरान करने वाला है!
कैसे-कैसे कुतर्क दिए जा रहे हैं और मीडिया द्वारा दिखाये भी जा रहे हैं!
असामाजिकता कितनी बेशर्म हो चुकी है! राजनीति का इससे अधिक पतन नहीं हो सकता!
हजारों वर्षों की मानव सभ्यता और उसकी संस्कृति की विकास यात्रा, क्या यही सब पाने और करने के लिए की गयी?
शायद यही कलयुग की परिभाषा है!!!