मित्रों, मुझसे सच्ची कहानियाँ सुना करो. कहानियों से दिल बहलता है.
कल मेरी दुकान पर एक लड़का आया, उसने 100 रुपये की अगरबत्ती ली और मुझे दो हज़ार का नोट पकड़ा दिया.
मैंने कहा, ‘100 की खरीद पर दो हज़ार कैसे खुलाऊँगी?’
सेल्समैन बोला, ‘खुल्ला दे दीजिए मैम. वैसे भी सेल नहीं हो रही. इस बहाने 100 की सेल तो हुई.’
मैंने 100-100 के 19 नोट दे दिए. उसके जाते ही एक दूसरा लड़का आया. उसने भी 100 रु. की अगरबत्ती ली और दो हज़ार का नोट पकड़ा दिया.
सेल्समैन ने वही तर्क दिया और मैंने दो हज़ार के खुल्ले दे दिए.
फिर तीसरा लड़का आया. ‘सारे मिले हुए हो क्या?’
‘क्या करें मैम, बैंक में दो हज़ार का नोट ही दे रहे हैं. बाहर कोई नहीं तुड़ा रहा. खुले पैसों की सख्त ज़रूरत है. फिर आपसे कुछ खरीद ही रहे हैं, ऐसे ही खुल्ला कैसे करवाते?’
कमाल हो गया. मेरी सारी अगरबत्तियां बिक गईं. 100-100 के जमा किए हुए नोट इस तरह काम आए. लोगों की मदद भी हो गई.
आज फिर 100-100 के नोट लेकर आई हूँ. जैसे ही कोई अगरबत्ती माँगने आता है, कह देती हूँ, ‘2000 का छुट्टा लेना है? ले लो.’
इस संकट की घड़ी में मैंने सरकार का खूब साथ दिया है, मित्रों, इस महायज्ञ में मेरा भी योगदान है.
– मणिका मोहिनी