जेब में 390 रुपये बचे हैं, बैग में भी 56 रुपये की चिल्लर है… 4 दिन का काम बड़ी आसानी से चल जायेगा… मगर उसके बाद हालत खराब होनी तय है.
पिछले 1 हफ्ते से एक-एक रुपया हिसाब से खर्च कर रहा हूँ… कोई पैसा एक्स्ट्रा खर्च नहीं किया…
कल बैंक में पैसे निकालने जाऊंगा… पता है मुझे… लाइन में लगना है… भीड़ होगी… जाहिर है थोड़ी दिक्कत होगी… पर सह लेंगे…
क्योंकि मैं जानता हूँ ये तकलीफ देशहित में है… देश के लिए इतना कष्ट तो सह सकते हैं हम… एक बेहतर कल के लिए एक आरामदेह आज हमें कुर्बान करना ही होगा.
गर अपने 7 मौलिक अधिकार हमें मुंहजबानी याद हैं, तो 10 कर्तव्य भी हमें याद रखने चाहिए.
ये देश सिर्फ मोदी जी की जिम्मेदारी नहीं है… हमारी भी है…
वो चाहते तो अन्य प्रधानमंत्रियो की तरह 555 फूंक सकते थे… बड़े-बड़े 5 सितारा होटल में काकटेल हाथ में लिए झूम सकते थे…
पर उन्होंने इसकी जगह हलाहल का प्याला चुना है… सुविधाओं का हाइवे छोड़ वो डगर चुनी है जो पथरीली है… जगह जगह जिसमे गड्डे हैं… जिसमे कांटे बिखरे पड़े हैं..
हमें इन्ही कांटो को चुनना है… हमें इन्ही गड्ढों को भरने में अपने यशस्वी प्रधानमंत्री की मदद करनी है… वो राह जो पथरीली है उसे सुगम बनाना है…
देवों की कृपा है हम पर… सौभाग्यशाली हैं हम… जो राष्ट्र पुनर्निर्माण के युग में पैदा हुए है…
अपने क्षुद्र स्वार्थों को त्याग कर इस पुनर्निर्माण का हिस्सा बनिए… यज्ञ हो रहा है देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए… इस महायज्ञ में अपने कर्म की आहुति डालिये…
एक नए भारत की नींव रखी जा रही है… इसमें पानी भर कर इसे कमजोर मत कीजिये… इस नींव के पत्थर बनिए… इसे अपनी मेहनत से सुदृढ़ कीजिये…
इतिहास उठा कर देख लीजिये… ये राह कभी आसान नहीं रही है… मुश्किलें आएँगी… कांटे चुभेंगे… कष्ट होगा…
पर इस कष्ट को सहिये और सतत चलते रहिये… क्योंकि सही मार्ग पर सतत चल कर ही स्वर्णिम भारत की मंजिल पायी जा सकती है…
एक अवसर मिला है हमें… इस अवसर को ज़ाया मत कीजिये… इसे हाथ से मत निकलने दीजिये…
ये मौका अगर आप चूक गए तो शायद आप कभी अपने आप को माफ़ न कर पाए… क्योंकि आपकी आने वाली पीढ़ी आपसे पूछेगी कि जब देश काला धन के खिलाफ एकजुट था… एक नयी इबारत लिखी जा रही थी तब आप कहाँ थे… आपने क्या किया… तब शायद आप इसका जबाब न दे पाएं…