नोटबन्दी की आंधी में एक सूचना दब गयी. ज़ाकिर नाइक की संस्था IRF पर पाँच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है.
स्वागत योग्य निर्णय है. परन्तु मैं गृहमंत्री महोदय से कुछ अर्ज़ करना चाहता हूँ.
ऐसा है सिंह साहब, कि आपने तो UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) एक्ट के तहत IRF को बुक किया है जिसके अनुसार सैद्धांतिक रूप से ज़ाकिर की संस्था कोई ऐसा कार्य कर रही थी जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ती.
आप ऐसा निर्णय क्यों नहीं लेते जिससे इस्लामी आतंकवाद कायदे से परिभाषित हो जाये?
आतंकवाद की परिभाषा (POTA) पोटा में दी गयी थी जो अब केवल कानून की पुस्तकों में है.
हालांकि 26/11 के आलोक में और उसके पश्चात 2013 में UAPA में कुछ आवश्यक संशोधन किये गए थे.
आतंकी गतिविधियों को परिभाषित किया गया था, देश की आर्थिक सुरक्षा को चुनौती देने वाले कारकों का उल्लेख किया गया था और उन संगठनों के नाम भी जोड़े गए थे जो पूर्व में POTA में थे.
हास्यास्पद विडंबना यह है कि हमारे यहाँ ‘आतंकी गतिविधि’ तो परिभाषित की गयी है किंतु आतंकवाद की परिभाषा नहीं है.
ये वैसा ही है जैसे कि आप शत्रु के दांव पेंच जानते हों, लेकिन शत्रु कौन है, ये नहीं जानते.
भारत संयुक्त राष्ट्र में जाकर वैश्विक बिरादरी से आतंकवाद को परिभाषित करने को कहता रहा है.
मगर जब तक अपने घर में आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जायेगा तब तक सिमी, इंडियन मुजाहिदीन और IRF पनपते रहेंगे और आप बैन पर बैन लगाते रहेंगे.
हमने UN कन्वेंशन 1373 पर हस्ताक्षर किये हैं लेकिन अपने यहाँ कायदे से एक आतंकवाद निरोधक कानून नहीं बनाया है.
बहुमत की सरकार का मतलब क्या है यदि आप अपने घर में आतंकवाद को परिभाषित नहीं कर पाये.
जो लोग अटल जी की सरकार के समय माध्यमिक कक्षाओं में रहे होंगे उन्होंने Civics की पुस्तक में Terrorism को पढ़ा होगा.
कानून तोड़ना और आतंकी गतिविधियों में शामिल होना, ये दोनों अलग चीजें हैं.
आतंकवाद एक ग़ैर सरकारी संगठन द्वारा किया गया सुनियोजित सशस्त्र हिंसक आक्रमण है जो किसी दूसरे देश की संप्रभुता को चुनौती देता है.
यह किसी अन्य देश द्वारा प्रायोजित ग़ैर पारम्परिक युद्ध है जो किसी देश के आर्थिक सामाजिक संबल को नष्ट करने हेतु कोई भी रूप धर सकता है.
हमने लगभग ऐसी ही परिभाषा Terrorism नामक चैप्टर में बचपन में पढ़ी थी. हो सकता है सिंह साहब, आपके बचपन में आतंकवाद न रहा हो ये अलग बात है!
आतंकवाद को परिभाषित करने के क्या फायदे हैं?
सबसे बड़ा लाभ यह है कि आतंकवाद को परिभाषित करने से हमे वह सैद्धांतिक आधार प्राप्त होगा जिससे हम भविष्य में और भी ‘anti terrorism laws’ और agencies वैधानिक रूप से निर्विरोध बना सकेंगे.
दूसरा ये कि सामरिक चिंतकों का ये मानना रहा है कि पाकिस्तान प्रायोजित ग़ैर पारम्परिक युद्ध से लड़ने के लिए तीनों सशस्त्र सेनाओं को पृथक् ‘doctrine’ बनानी चाहिये.
डॉक्ट्रिन का अर्थ है किसी विशेष प्रकार के युद्ध लड़ने के लिए सेना द्वारा बनाई गयी एक सैद्धांतिक व्यवस्था.
भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना सबके पास पारम्परिक युद्ध के लिए अपनी डॉक्ट्रिन है.
भविष्य में आतंकवाद निरोधी किसी भी doctrine का फ्रेमवर्क तब तक नहीं बन सकेगा जब तक इस्लामी आतंकवाद कायदे से परिभाषित नहीं किया जायेगा.
तीसरी महत्वपूर्ण बात ये कि आतंकवाद निरोधक सभी कानून मसलन मकोका, UAPA और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) इत्यादि इन सब कानूनों की जगह एक एकीकृत कानून बनाया जा सकेगा जिससे प्रधानमंत्री की फालतू के कानून खत्म करने की मंशा मूर्त रूप ले सकेगी.
सारी एजेंसियां मसलन DRI, ED, CBI, NIA सबको आतंकवाद के विरुद्ध एक क़ानूनी अस्त्र मिल सकेगा.