बात उन दिनों की है जब मैं पतंजलि योग पीठ हरिद्वार में था. बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान में हम लगभग 100 लोग सेवाव्रती के रूप में आन्दोलन से जुड़े थे.
एक दिन स्वयं स्वामि रामदेव जी हमसे मुखातिब थे. उन्होंने एक बड़ी गहरी बात कही. एक सामान्य व्यक्ति एक अदद पत्नी और दो बच्चों ………. इन 3 लोगों ………. सिर्फ 3 लोगों के भरण पोषण और सेवा सुश्रुषा में पूरा जीवन बिता देता है.
सिर्फ इन 3 लोगों के लिए, उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए ……. उनके नाजो नखरे उठाता ……उनकी बातें सुनता, उनकी झिडकियां खाता है ……. लात जूता भी खाता है ……. बेइमानियाँ करता है ……… अपना ज़मीर बेचता है ……. अपना स्वाभिमान अपनी अंतरात्मा को गिरवी रख देता है ……. सिर्फ इन 3 लोगों की सेवा में?
क्या मनुष्य का जीवन जो मिला वो इसीलिए मिला था? इतनी बड़ी दुनिया में जहां इतने सारे लोग हैं …….. 6 अरब लोग ……. और एक भरा पूरा समाज …….एक राष्ट्र …….और धर्म …….. और इन सबसे ऊपर आपकी अपनी आत्मा …….. क्या इनके प्रति कोई कर्त्तव्य नहीं.
मैंने उसी दिन सोच लिया था ……. मैं एक पत्नी और 2 – 3 बच्चों की सेवा में अपना जीवन नहीं खपाऊँगा ……. I will live a life of significance ……. मेरे परिवार में सिर्फ ये 4 – 5 लोग नहीं रहेंगे. i will have a bigger family.
Yessssss……. I will live a life of significance ……….. I hereby devote my life for UDAYAN and for my NATION………