अपोली नहीं समझे… अरे भई, पोपली नहीं कहा… अपोली…
चलिए आपिनी तो जानते होंगे…
क्या कहा? सुना ही नहीं ये शब्द, यार… पापिनी नहीं आपिनी.
कोई बात नहीं, इस अपोली-आपिनी से हुआ संवाद पढ़ लीजिए, समझ आ जाएगा इन शब्दों का अर्थ…
सन्दर्भ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरक व्यक्तित्व पर किसी का फेसबुक स्टेटस
अपोली : चापलूसी की हद है.
मैं : अरे केजरीवाल पार्टी आ गई? यानी अस्तित्व है अभी इस ID का ??
इतने अरसे से केजरी के सर से सींग की तरह गायब थीं, लगा कि फर्जीवाल ID होगी जो बंद हो गई.
लगता है गहरा सदमा है बड़े नोटों की चोट का. कहां से आए थे? फोर्ड फाउंडेशन से मिले या ग्रीनपीस ने दिए थे.
खैर जो भी थे अब तो दाउद के नोटों की तरह बेकार हो गए 🙂
अपोली : हा… हा…
अपोली : आज रात 12 बजे से PM बदल जाएगा
और
उसकी जगह
12 बजे के बाद AM चालू हो जाएगा!!
मेरी बात गलत साबित हो तो ब्लॉक कर देना
मैं : वैसे ये चापलूसी नहीं भक्ति है और इस विशेषण “भक्त” को हम मैडल की तरह स्वीकार करते हैं.
पर विदेशी टुकड़ों पर पलने वाले एनजीओ गिरोह नहीं समझेंगे ये बात और न उनके चेले-‘चेली’
मैं : आपकी केजरीवाल-नुमा हरकतें-करतूतें बंद नहीं हुईं तो ब्लॉक तो करना बनता है 🙂
अपोली : मेकिंग इंडिया लगता ही नहीं news चैनल है… पूरा मोदी चालीसा है (a total modi chalisa)
मोदीजी, अगर आपको पता है राहुल गांधी मायावती के पास काला धन है तो छापा मारकर इन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं करते कब तक मूर्ख बनाओगे देश को? अभी सरकार आप की ही है.
मैं : आप मत पढ़ा-देखा करिए मेकिंग इंडिया 🙂 नमो-चालीसा ही क्यों, हम तो नमो सहस्रनाम भी छापेंगे बस आप जैसों को तकलीफ होना चाहिए.