नोट बदलाव और बैन पर यूँ ही नहीं है ममता बनर्जी का विरोध और अरविन्द केजरीवाल का रोज़ रोज़ विडियो प्रसारित करना, प्रेस वार्ता करना …
क्या आपको मालूम है कि भारत में सबसे ज्यादा फ्रॉड कंपनी से व्यापार कहाँ होता है ?
हवाला से पैसे और जाली नोट की खेप भारत में पहुँचाने का सबसे बड़ा दरवाज़ा कहाँ है?
वो है पश्चिमी बंगाल… पश्चिमी बंगाल में एक तरह से नकली नोटों की सप्लाई और हवाला का उद्योग है…
जिन्होंने कोलकाता से गौहाटी की यात्रा ट्रेन से की होगी उन्होंने ट्रेन की खिड़की से बांग्ला देश सीमा देखा होगी. ये सीमा गंगा के जल में भी पोस्ट लगा के दिखाई गई है.
पश्चिमी बंगाल का फरक्का, मालदा सीधे बांग्ला देश से जुड़ा है… अब अगर आप पहाड़ी इलाकों के बंगाल में जाएंगे तो इसकी सीमा उत्तर में नेपाल से जुड़ती है.
पश्चिमी बंगाल से लगे नेपाल के अंदर ISI ने अपने प्यादे लगा के बहुत अड्डे बनाए हैं. नेपाल और बांग्ला देश से लगे सीमावर्ती प. बंगाल के इन इलाकों में नकली नोट की बड़ी खेप आती है.
ये नकली नोट फिर अलग अलग रास्तों से नक्सलबाड़ी पहुँचाया जाता है… यहाँ से ये लोग इन नकली नोटों को बैच में बदलते हैं…
इससे बहुत सारा असली काला धन पैदा करते हैं… हवाला के जरिये इन रुपयों से वामपंथी नक्सलियों को हथियार बेचते हैं.
पहले ये लोग अपने हिस्से को अपने हिसाब से बांटते थे… लेकिन पिछले 2-3 वर्षों से इन्होने भी उड़ीसा-झारखण्ड के नक्सली गिरोह से सम्बन्ध बना लिए और उनसे व्यापार करते हैं, जिसमें हथियार, मादक पदार्थ, खाने पीने का सामान और कपडे आदि हैं.
भारत में इस तरह समानांतर अर्थ व्यवस्था संचालित करने के साझीदार हैं- ये लोग, वामपंथी नक्सली, तस्कर और अपराधी.
इस demonetization के कदम ने इस पूरे गठजोड़ को नेस्तनाबूद कर दिया है, नकली नोट कबाड़ हो गए, हवाला के पैसे गोबर हो गए, नक्सलियों द्वारा जमीन में ट्रंक भर के दबाए रुपये वहीँ सड़ेंगे…. ये सब सड़क पर आ गए हैं, कंगाल हो गए है …
अब चलें दिल्ली…
काफी समय से नक्सली दिल्ली में सीधे अड्डा बनाना चाहते थे. बौद्धिक आतंकियों और बौद्धिक नक्सली जो बड़े बड़े लेख लिखते हैं और TV पर ज्ञान देते हैं, उनको इन्होंने इसमें मदद करने का काम किया.
दिल्ली की जनता ने सस्ते बिजली, पानी और फ्री wifi के झांसे में आकर नक्लसियों और हवाला कारोबारियों के मददगारों को सत्ता सौंप दी.
इन्होंने खालिस्तानी अलगाववादियों और अरब के वहाबी कट्टरपंथियों से काफी चन्दा इकठ्ठा किया है.
इनको यहाँ से पैसे मिलने के अलावा पश्चिमी बंगाल और दंडकारण्य के जंगलों से भी माल भेजने के एवज में पैसा आता हैं.
कुछ हफ्ते पहले दिल्ली में नक्सलियों का पकड़ा जाना, JNU में हथियार मिलना, इनके के एक मंत्री का नक्सल प्रभावित जगदलपुर (बस्तर) दौरा सब लोगों को याद होगा.
2015 में दिल्ली चुनाव के समय इनको शहरी नक्सली कहना कोई ऐसे ही नहीं था, ज़रूर इस पर केंद्र सरकार को खुफिया विभाग से जानकारी मिली होगी.
इनके सारे चंदे खरपतवार हो गए हैं, इनके मंत्री जो भी डील नक्सलियों से कर के आए थे, वो कचरा हो गई है.
जिसकी इतनी मेहनत से कमाया गया चन्दा और डील अचानक से कचरा हो गया हो उससे पूछो उसके दिल की हलालत मतलब हालत…
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