
यरुशलम. वोट बैंक की राजनीति के चलते भारत में जिस मुद्दे पर हर राजनीतिक दल चर्चा करने से भी कतराता है, उस पर इज़रायल ने एक बड़ा कदम उठाया है.
इज़रायली सरकार के इस कदम से बहुत संभव है कि आनेवाले दिनों में इजरायल में मस्जिदों की अजान न सुनाई दे.
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर्स की आवाज सीमित करने वाले बिल को अपनी मंजूरी दे दी है.
इज़रायली मीडिया के मुताबिक इस बिल के पास होने के बाद मस्जिदों में अजान पर रोक लग जाएगी.
रविवार को कैबिनेट बैठक में नेतन्याहू ने बिल के ड्राफ्ट पर चर्चा की और कहा कि वह इस बिल का समर्थन करेंगे.
नेतन्याहू ने कैबिनेट बैठक शुरू होते ही कहा ‘मुझे याद नहीं कितनी बार, लेकिन इज़रायली नागरिकों ने कई बार प्रार्थनास्थलों में होने वाले शोर-शराबे से परेशानी की शिकायत मुझसे की है.’
ड्राफ्ट बिल में सभी पूजास्थलों का जिक्र किया गया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यह बिल मुसलमानों और मस्जिदों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.
ऐसा नहीं कि इज़रायली सरकार के इस कदम का विरोध न हो रहा हो. इजरायल डिमॉक्रेसी इंस्टीट्यूट नाम के थिंक टैंक ने इस प्रस्ताव के खिलाफ आवाज उठाई है.
इस थिंक टैंक का कहना है कि इस बिल को लाने का मकसद शोर-शराबे से बचना नहीं है बल्कि अरब और यहूदियों के बीच के फर्क को बढ़ाना है.
इस बिल के मुताबिक मस्जिदों के लाउडस्पीकर की आवाज को सीमित रखने की बात कही गई है क्योंकि इसकी तेज आवाज से ‘शोर-शराबा’ होता था.
खबरों के मुताबिक, इस कदम पर यह भी दलील दी गई कि कुछ यूरोपियन और यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी इसी तरह की पाबंदियां लागू हैं.
इजरायल की जनसंख्या में 17.5 प्रतिशत अरब आबादी है. इनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं. मुसलमान इजरायल में बहुसंख्यक यहूदियों पर भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं.