सवाल – अच्छा तो ‘नोटबंद’ के विरोधियों, काला धन के खात्मे के लिए आपके मतानुसार क्या और कैसे करना चाहिए?
जवाब – ये वो, ये वो, ये वो, ये वो ….
सवाल – तो ‘ये वो’ आपने सत्तर साल में क्यों नही कर लिया?
जवाब – आप भक्त हो!
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उनका नाम ही बयां कर देता है उनका दर्द
कौन चिल्ला रहा है?
टू जी वाले राहुल जी!
साथ में माया, ममता और दिल्ली का नटवरलाल आदि आदि!
ये नाम ही काफी है यह समझने के लिए की यह क्यों चिल्ला रहे हैं!
क्या गजब पहचान है, इन सब लोगों की !
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अफवाहें फैलाना बंद करो पत्रकारों
जनता क्या चाहती है, यह मीडिया नहीं समझ पा रही!
मीडिया क्या चाहती है, यह जनता समझ गयी है!
इसलिए जनता अब मीडिया की बातों में नही आ रही!
वो जागरूक हो चुकी है, हिंदुस्तान में भी और अमेरिका में भी!
पत्रकारों, नोट बैन से लेकर किसी भी मुद्दे पर अफवाह फैलाना बंद करो!
आम लोग तकलीफ झेलने को तैयार हैं!
वो जानते हैं कि बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवाई जरूरी होती है और यहाँ तो रोग जटिल था!
इसलिए जनता तो सर्जरी के लिए भी तैयार है !
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नोट बंद से खुश हैं लोग
देश की कैश से चलने वाली अर्थ व्यवस्था में 85% नोट 500 और 1000 के थे!
लेकिन 500 और 1000 के नोट का अधिक प्रयोग 15% लोग ही करते थे!
इसलिए देश की बहुसंख्या नोट बंद से प्रभावित नहीं है, बल्कि खुश है!
दाल-रोटी-सब्जी खाने के लिए 10, 20, 50, 100 रूपये ही काफी होते हैं.
कभी महंगी-महंगी गाड़ियों से नीचे उतरें और स्मार्ट फोन की दुनिया से बाहर आयें!
यह हम भूल चुके हैं कि जीवन की मूल जरूरतें बेहद कम हैं!