विपरीत परिस्थितियों में लंबे संघर्ष की गाथा है अप्रवासियों का देश इज़रायल

इज़रायल यहूदियों की पवित्र भूमि है. इस भूमि पर यहूदियों का इतिहास ईसा के समय से रहा है. यहां यहूदियों की संस्कृति, राष्ट्रीयता और धर्म का विकास हुआ.

यहां से यहूदियों को निर्वासित किए जाने तक इनकी संस्कृति विकसित होती गई. साल 1948 में इज़रायल की स्थापना के साथ यहूदियों को स्वतंत्रता हासिल हुई और करीब 2000 साल पहले का इतिहास फिर से जीवंत हो उठा.

राष्ट्रपति – रियुवेन रिवलिन
प्रधानमंत्री – बेंजामिन नेतान्याहू
मुद्रा – न्यू इज़रायली शेकेल
राजधानी – जेरुसलेम

पानी

इस भूभाग में पानी की कमी की वजह से उपलब्ध पानी के अधिक से अधिक इस्तेमाल करने और नए स्रोतों की तलाश करने की प्रेरणा मिली.

साल 1960 में साफ पानी के स्रोतों को एकीकृत ग्रिड से जोड़ा गया. इसका मुख्य मार्ग (राष्ट्रीय जल संवाहक) उत्तरी और मध्य इलाके से पानी को अर्द्ध शुष्क दक्षिण तक पहुंचाता है.

नए जल स्रोतों के तहत भाप से पानी एकत्र करना, सीवेज के पानी की रीसाइक्लिंग और समुद्री पानी से खारेपन दूर करने की परियोजनाएं चल रही हैं.

जनसंख्या

इज़रायल अप्रवासियों का देश है. साल 1948 में इसकी स्थापना के बाद से, इज़रायल की जनसंख्या में करीब 10 गुना बढ़ोतरी हुई है.

यहां के 8.4 लाख निवासियों की विविध जातीय पृष्ठभूमि, जीवन शैली, धर्म, संस्कृति और परंपराएं हैं.

वर्तमान में देश की कुल आबादी की करीब 75.4 फीसदी यहूदी हैं. गैर यहूदी आबादी 24.6% है, जिनमें अधिकतर अरब मूल (20.5%) के लोग हैं.

मुख्य शहर

जेरुसलेम : इज़रायल की राजधानी जेरुसलेम है. यहां की आबादी करीब 7,88,100 है. यह शहर यहूदियों के लिए राष्ट्रीय और धार्मिक भावनाओं का केंद्र है. इसे किंग डेविड ने करीब 3000 साल पहले अपनी राजधानी बनाया था. आज की तारीख में यह शहर काफी समृद्ध और जीवंत है और इज़रायल का सबसे बड़ा शहर है.

तेल अवीव : तेल अवीव की आबादी करीब 4,04,300 है. इस शहर की स्थापना आधुनिक समय में साल 1909 में पहले यहूदी शहर के रूप में हुई थी. वर्तमान में यह शहर उद्योगों, वाणिज्य, वित्तीय और सांस्कृति जीवनशैली का केंद्र है.

हाइफा : इस शहर की आबादी 2,68, 200 है. यह शहर प्राचीन काल से समुद्रतटीय इलाके के रूप में जाना जाता है. यहां भूमध्यसागरीय पत्तन है. साथ ही यह शहर उत्तरी इज़रायल के औद्योगिक और वाणिज्य केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है.

बीर शेवा : इस शहर की आबादी 1,95,400 है. बाइबिल में इस शहर का उल्लेख धर्म प्रधान की छावनी के रूप में है. वर्तमान में यह शहर दक्षिण के बड़े शहरी केंद्र के रूप में जाना जाता है. यह पूरे दक्षिणी क्षेत्र के लिए प्रशासनिक, आर्थिक, स्वास्थ्य, शिक्षा और सांस्कृतिक सेवाएं प्रदान करता है .

शासन पद्धति

इज़रायल विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शाखाओं के साथ एक संसदीय लोकतंत्र है. देश का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का होता है, जिनकी जिम्मेदारी अमूमन वैधिक और औपचारिक है, साथ ही आधिकारिक रूप से वे राज्य की एकता और संप्रभुता के प्रतीक हैं.

कनेसेट (इज़रायली संसद, जिसके पास विधायी अधिकार हैं) 120 सदस्यीय संसद है, जो पूर्ण सत्र और 12 स्थायी समितियों के माध्यम से चलती है. इसके सदस्य प्रत्येक चार साल में राष्ट्रस्तर पर होने वाली चुनावी प्रक्रिया के तहत चुने जाते हैं.

सरकार के पास (मंत्रियों की कैबिनेट) आंतरिक और विदेश मामलों की जिम्मेदारी होती है, जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं. प्रधानमंत्री के पास ही कनेसेट की सामूहिक जिम्मेदारी भी होती है.

कृषि

इज़रायल की कृषि की सफलता के पीछे लंबा संघर्ष है. देश को कृषि अनूकुल माहौल बनाने के लिए कठोर व विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के साथ-साथ कम पानी व कृषि योग्य उपलब्ध भूमि का अधिकतम इस्तेमाल करना पड़ा.

आज की तारीख में देश की कृषि व्यवस्था कुल जीएनपी का 2.4% और निर्यात का 2% है. इज़रायल घरेलू खाद्य जरूरतों का 93% उत्पादन खुद करता है.

इसके अलावा अनाज, तिलहन, मांस, कॉफी, कोको और चीनी का आयात कर बाकी जरूरत पूरा करता है.

आयात की भरपाई करने के लिए कृषि उत्पादों का बड़े स्तर पर निर्यात भी किया जाता है.

भाषा

देश की आधिकारिक भाषा हिब्रू और अरबी है. हालांकि, देश में और भी अन्य भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है. हिब्रू बाइबल की भाषा है.

साभार : फेसबुक पेज ‘इज़रायल हिंदी में

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