डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, गली-गली और खेत में फ़ेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर चलाने के लिए नहीं है. उसी तरह जन धन योजना के खाते भी फ्री में 15 लाख पाने ले लिए नहीं हैं. इनका उद्देश्य बहुत बड़ा है. ये भारत की तस्वीर बदल देगा.
आजकल मुद्रा बदलकर भारतीय अर्थव्यवस्था का शुद्धिकरण किया जा रहा है. लोग चाव से इसमें भाग ले रहे हैं, असुविधाओं को हँस के सहते हुए.
भारत के बैंक और डाकघर के कर्मचारी युद्धस्तर पर लगे हैं…. मैं आज इस सबकी बड़ी तस्वीर दिखाना चाहता हूँ.
पहले जनधन योजना से हर एक नागरिक को जोड़े जाने की योजना बनी जिससे सबके पास बैंक में खाता हो.
जब बैंक में खाता होगा तभी कोई डेबिट कार्ड से लेन-देन कर सकेगा. जब डिजिटल इंडिया से पूरा देश इन्टरनेट से जुड़ जाएगा तो ये बैंक के खाते भी इन्टरनेट से जुड़े होंगे.
हर डेबिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले के पास नगद रखने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि इंटरनेट से जुड़े होने के कारण हर व्यवसायी और दुकानदार भी बैंक से जुड़ा होगा.
अब उस दूकान पर रख दीजिये Card swaping instrument, अब सब खरीदने-बेचने वाले जुड़ जाएँगे बैंक से.
हर दूकान पर GST बिलिंग की प्रोग्राम की हुई मशीन भी रखी होगी. जितने का बिल उतने का भुगतान.
बैंक को जब ग्राहक मिलेंगे तो कर 15-20 गाँव पर एक बैंक होगा. दूर दराज़ के लोग डिजिटल इंडिया + बैंक खाते से जुड़े होंगे.
किसी को नगदी रखने की जरूरत नहीं – सिर्फ छोटे खरीददारी जैसे फल, सब्ज़ी, नाई, मोची या पंक्चर लगाने के कुछ काम के लिए नगदी चाहिए होगा.
इससे भारत का हर व्यवसाय, सफ़ेद व्यवसाय होगा. दूकान से हुई हर खरीद-बिक्री का हिसाब रहेगा और देश की अर्थव्यवस्था सही राह पर होगी.
आइये जाने कि इन सब से देश को और आम जान को, जो दूर दराज़ गाँव के इलाके में रहते हैं, कैसे फायदा होगा…
1. बैंक में पैसा रहने से उनका पैसा सुरक्षित होगा और ब्याज भी मिलेगा.
2. अकस्मात् के अवस्थाओं जैसे चोरी होना, आग लगना आदि की स्थिति में पैसे बैंक में होने से सुरक्षित रहेंगे. घर में रखने से नष्ट हो जाते हैं.
3. किसान को खाद, बीज की दिक्कत होती है, सरकारी या गैर सरकारी दूकान पर उनकी ये समस्या समाप्त हो जाएगी क्योंकि इसकी कालाबाज़ारी पर लगाम लगेगा.
4. खाद और बीज विक्रेता की हर खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड होगा और वो चोरी करने से फंसेगा, किसान को लाइन लगाने या अफरातफरी से मुक्ति मिलेगी.
5. अपने उपज को वो मंडी में बेचने के बाद नगदी को वहीँ बैंक में सुरक्षित कर लेगा और नगद लेकर यात्रा करने के खतरों से बचेगा.
6. किसान को उचित मूल्य मिलेगा क्योंकि मंडी का भाव और पेमेन्ट का भी रिकॉर्ड होगा.
7. अक्सर सुनने में आता है कि पेट्रोल पंप कर्मी या सुनार का खजांची पैसे जमा करने जा रहा था और लूट लिए गए. इससे लुटेरों का धंधा बंद होगा, जिससे जान माल सुरक्षित होंगे.
8. प्रत्येक नागरिक का देश की अर्थव्यवस्था में उचित योगदान होगा और उस योगदान का फल मिलेगा.
9. नगदी का व्यवसाय न्यूनतम होने पर कालाबाज़ारी, नक्सलवाद और आतंकवाद को पोषित होने वाले कारक बहुत कम होंगे जिससे सब सुरक्षित रहेंगे.
10. आधारिक संरचना बढ़ने, बैंक के कर्मचारी इन जगहों पर होने से कई अन्य उन्नति होंगी. अच्छे विद्यालय और महाविद्यालय खुलेंगे जिससे गरीब और गाँव-गिरांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था होगी.
11. हस्पताल भी खुलेंगे – बैंक खाते से जुड़े बीमा योजना होने से इलाज की समस्या दूर होंगी.
अब इन सबके लिए सरकार की तरफ से योजना आएगी. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम तेज़ी से चल रहा है, बैंक में खाते खुल रहे हैं, और भी योजनाएँ आएँगी जिससे इस सबको साकार किये जा सकेंगे.
इसके लिए बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. बैंककर्मी आतंरिक योद्धा होंगे जो नई शाखा खोलने और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने की विधि के प्रचार और शिक्षा के ध्वजवाहक होंगे.
याद रखिएगा कि आने वाले दिनों में बैंककर्मी और बीमाकर्मी के ऊपर और बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है और वो इस बढ़ते भारत के पुरोधा होंगे.
इस सबके बीच हमारी-आपकी… आमजन की क्या भूमिका होगी… बड़े शहरों में रहने वाले लोगों का जरूर कोई गाँव होता है. वो वहां आते जाते हैं.
जिनका नहीं होता तो वो उनके घर में कामवाली, कूड़ा बटोरने वाला या मिलने वाले रिक्शावाला खोमचे वाला .. इनसे पाला जरूर पड़ता है.
अब सब लोग अपने गाँव के लोगों को प्रेरित करें बैंक में खाता खोलने के लिए… होने वाले फायदे, उनके बैंक से जुड़ने से उनके आने वाली पीढ़ी की उज्जवल भविष्य के फायदे बताएं.
डेबिट कार्ड के बारे में बताएँ.. कैसे इस्तेमाल होता है समझाएँ.. अक्सर गाँव और दूर दराज़ के इलाके में रहने वाले इससे डरेंगे, उनका डर भगाएँ.. उनको मज़बूती दें, उनका आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ाएं.
वो समय, जब कांग्रेस गरीब को गरीब बना के, अनपढ़ को अनपढ़ रख के, लोकलुभावन नारे देकर सत्ता सुख भोगती थी, वो दिन गए…
और कांग्रेस की B टीम उर्फ़ वामपंथी, भड़का कर एक समानांतर सत्ता चलाने का कुचक्र रचने वाले लोग हैं जो खुद को शब्दों का जाल फेंक कर बुद्धिजीवी और सर्वहारा का मसीहा बताते फिरते थे, उनका समय भी गया….
आइये राष्ट्रवादी ताकतें एक नए अध्याय की शुरुवात करें… एक ताकतवर और विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें….
आइये हम राष्ट्रवादी लोग, लाइन में खड़े अंतिम व्यक्ति का सशक्तिकरण कर दें जिससे उनको भी हर लाभ मिले और वो जीवन जीने का मज़ा उठा सके…