Brigitte Gabriel अमेरिका में रहती हैं. इस्लामिक आतंकवाद और इस्लामिक साम्राज्यवाद के खतरों से सारी दुनिया को अवगत कराती हैं.
उनकी कहानी ये है कि वो मूलतः लेबनान की रहने वाली हैं. लेबनान किसी ज़माने में पूरब का पेरिस कहलाता था.
लेबनान ईसाई बहुल था, पर इस्लामिक देशों से घिरा हुआ था. समाज, सरकार और लोग दूरदर्शी न थे और secularism, multi culturalism (बहु संस्कृतिवाद) जैसी सोच से पीड़ित थे.
इस सोच के चलते दोनों हाथ फैला के फिलिस्तीनी और अल्जीरिया जैसे देशों से आते मुस्लिम शरणार्थियों का स्वागत करते थे.
फिर जब एक दिन लेबनान में कट्टरपंथी मुस्लिम शरणार्थियों की संख्या बेतहाशा बढ़ गयी तो उन्होंने ठीक आज के ISIS की तरह लेबनान के बहुसंख्यक ईसाइयों को मारना शुरू कर दिया.
लेबनान का ठीक वही हाल किया जो आज ISIS ने सीरिया का किया है.
सो उस बर्बादी का शिकार Brigitte Gabriel का परिवार भी हुआ. उनके घर पर हमला करके उसे लूट लिया गया.
फिर पूरे शहर को तहस नहस कर आग लगा दी गयी. पूरे शहर पर कट्टरपंथी मुस्लिम शरणार्थियों का कब्जा हो गया.
उनके परिवार ने किसी तरह भाग के जान बचायी. एक तहखाने में छिप कर किसी तरह दो महीने बिताये.
न कुछ खाने को था और न पीने का पानी. उस तहखाने से करीब 200 मीटर दूर एक झरने से, रात के अंधेरे में उनके पिता रेंगते हुए जाते और पानी लेकर आते. उस दौरान हमेशा जान जाने का खतरा बना रहता.
उनकी माँ रात के अंधेरे में, तहखाने के इर्द गिर्द उगी वनस्पतियां लाकर उन्हें उबाल के बच्चों को खिलाती रही.
बेहद सर्द मौसम में पूरा परिवार बिना गर्म कपड़ों के रात बिताता, अलाव तापते हुए. ऐसी हालात में भी वो परिवार जीवित रहा.
आज Brigitte अमेरिका में और दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ अलख जगाती हैं. उनके वीडियो यू ट्यूब पर हैं. देखिये.
Brigitte उस तहखाने में मरी नहीं थी.
जिसने ज़िंदा रहने का ठान लिया वो कभी नहीं मरता.
बाकी तो कई लोग ज़िंदा लाश बन के ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं.
यकीन मानिए, छुट्टे पैसे के बिना कोई नहीं मरेगा… हाँ, बशर्ते कि खुदकुशी न कर ले.
ज़िंदा लाशें यूँ जी के भी क्या उखाड़ लेंगी?