लीजिये पढ़िए बब्बा (ओशो) पहले ही कह गए हैं कि एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल जग मेंरह जाएँगे प्यारे तेरे बोल
“तुम जिसको पैसा समझते हो वह एक मान्यता है. अगर किसी दिन सरकार बदल जाए और रातोरात यह एलान किया जाए कि फला फला नोट नहीं चलेगा तो तुम क्या करोगे??
मान्यता को बदलने में देर कितनी लगती है??
चंद कागज के टुकड़ों पर किसी का चित्र और हस्ताक्षर करने से वह मुद्रा बन गई और व्यवहारिक काम में आने लगी…
मान्यता बदल गई तो वह मुद्रा दो कौड़ी की हो जाएगी …
सारा खेल मान्यता का है….
थोड़ा मान्यता से ऊपर उठो , उसे देखो जो है.
धन के पीछे इतना भी मत भागो कि वह भी ना देख पाओ जो देखा जा सकता है…. ”
– ओशो