संस्कृत सरलीकरण के कुछ प्रयोग हमने जान लिए. अब हम अपना शब्दसंग्रह बढाएँ जिससे हम अबाध संस्कृत बोल पाएँगे. कुछ सरल वाक्य बोलने का अभ्यास करें.
अश्वः धावति – घोड़ा दौड़ता है.
वृक्षः फलति – वृक्ष फलता है.
सेवकः तिष्ठति – सेवक रुका हुआ है.
भिक्षुकः अटति – भिखारी इधर उधर जाता है.
सः निन्दति – वह निन्दा करता है/बुराई करता है.
सः हसति – वह हँसता है.
अम्बा पचति – माँ (खाना) पकाती है.
अनुजा क्रीडति – छोटी बहन खेलती है.
अग्रजा फलं खादति – बड़ी बहन फल खाती है.
सुतः हसति – बेटा हँसता है.
रमा गायति – रमा गाती है.
बाला लिखति – बालिका लिखती है.
गंगा वहति – गंगा बहती है.
सीता दुग्धं पिबति – सीता दूध पीती है.
सन्ध्या भवति – शाम होती है.
सा नयति – वह ले जाती है.
इयम् इच्छति – यह चाहती है.
अजा चरति – बकरी चरती है.
पुष्पं विकसति – फूल खिलता है.
फलं पतति – फल गिरता है.
नयनं स्फुरति – आँख फड़कती है.
मित्रं यच्छति – मित्र देता है. (मित्रं नपुंसकलिंगी है )
जलं स्रवति – पानी रिसता है.
तत् पतति – वह गिरता है.
इन वाक्यों को बहुवचन में, ( ति के स्थान पर अन्ति)
हमने देखा है कि संस्कृत में भूतकाल में सरलता से बात की जा सकती है. क्रियापद में थोड़े से परिवर्तन के साथ कुछ सरल वाक्य – (इससे पूर्व लिखित वर्तमानकाल के वाक्यों का भूतकाल में रूपान्तरण)
वर्तमानकाल – भूतकाल
बालः पुस्तकं पठति – बालः पुस्तकं पठितवान्.
शिष्यः नमति – शिष्यः नमितवान्.
अग्रजः वदति – अग्रजः उक्तवान्.
जनकः पश्यति – जनकः दृष्टवान्.
पितृव्यः पृच्छति – पितृव्यः पृष्टवान्.
पुत्रः गच्छति – पुत्रः गतवान्.
अश्वः धावति – अश्वः धावितवान्.
वृक्षः फलति – वृक्षः फलितवान्.
अग्रजा खादति – अग्रजा खादितवती.
बाला लिखति – बाला लिखितवती.
बालिका: लिखन्ति – बालिका: लिखितवत्यः.
सा नयति – सा नीतवती.
तत् पतति – तत् पतितवान्.
चित्रकारा: लिखन्ति – चित्रकारा: लाखितवन्त:.
रामः ददाति – रामः दत्तवान.
मुकुन्द हम्बर्डे
- पहले की कक्षा के पाठ –
संस्कृत कक्षा -1 : शुरू करो संस्कृताक्षड़ी लेके प्रभु का नाम