संस्कृत कक्षा – 6 : वर्तमान और भूतकाल का अभ्यास

संस्कृत सरलीकरण के कुछ प्रयोग हमने जान लिए. अब हम अपना शब्दसंग्रह बढाएँ जिससे हम अबाध संस्कृत बोल पाएँगे. कुछ सरल वाक्य बोलने का अभ्यास करें.

अश्वः धावति – घोड़ा दौड़ता है.
वृक्षः फलति – वृक्ष फलता है.
सेवकः तिष्ठति – सेवक रुका हुआ है.
भिक्षुकः अटति – भिखारी इधर उधर जाता है.
सः निन्दति – वह निन्दा करता है/बुराई करता है.
सः हसति – वह हँसता है.
अम्बा पचति – माँ (खाना) पकाती है.
अनुजा क्रीडति – छोटी बहन खेलती है.
अग्रजा फलं खादति – बड़ी बहन फल खाती है.
सुतः हसति – बेटा हँसता है.
रमा गायति – रमा गाती है.
बाला लिखति – बालिका लिखती है.
गंगा वहति – गंगा बहती है.
सीता दुग्धं पिबति – सीता दूध पीती है.
सन्ध्या भवति – शाम होती है.
सा नयति – वह ले जाती है.
इयम् इच्छति – यह चाहती है.
अजा चरति – बकरी चरती है.
पुष्पं विकसति – फूल खिलता है.
फलं पतति – फल गिरता है.
नयनं स्फुरति – आँख फड़कती है.
मित्रं यच्छति – मित्र देता है. (मित्रं नपुंसकलिंगी है )
जलं स्रवति – पानी रिसता है.
तत् पतति – वह गिरता है.

इन वाक्यों को बहुवचन में, ( ति के स्थान पर अन्ति)

हमने देखा है कि संस्कृत में भूतकाल में सरलता से बात की जा सकती है. क्रियापद में थोड़े से परिवर्तन के साथ कुछ सरल वाक्य – (इससे पूर्व लिखित वर्तमानकाल के वाक्यों का भूतकाल में रूपान्तरण)

वर्तमानकाल     –         भूतकाल
बालः पुस्तकं पठति – बालः पुस्तकं पठितवान्.
शिष्यः नमति – शिष्यः नमितवान्.
अग्रजः वदति – अग्रजः उक्तवान्.
जनकः पश्यति – जनकः दृष्टवान्.
पितृव्यः पृच्छति – पितृव्यः पृष्टवान्.
पुत्रः गच्छति – पुत्रः गतवान्.
अश्वः धावति – अश्वः धावितवान्.
वृक्षः फलति – वृक्षः फलितवान्.
अग्रजा खादति – अग्रजा खादितवती.
बाला लिखति – बाला लिखितवती.
बालिका: लिखन्ति – बालिका: लिखितवत्यः.
सा नयति – सा नीतवती.
तत् पतति – तत् पतितवान्.
चित्रकारा: लिखन्ति – चित्रकारा: लाखितवन्त:.
रामः ददाति – रामः दत्तवान.

मुकुन्द हम्बर्डे

 

 

     संस्कृत कक्षा – 5 : भूतकाल

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