सरकारों और पार्टियों की कुछ मजबूरियाँ होती हैं. जब सम्पूर्ण कांग्रेस द्वारा संस्थागत सत्याग्रह संभव न था तब देश में वैयक्तिक सत्याग्रह हुआ था.
जब चीनी उत्पादों का विरोध सरकार द्वारा संभव न था तब कुछ पत्रकारों की अपील को धता बताते हुए हमने ही वह बहिष्कार संभव बनाया था.
आज फिर सरकार विवश सी है. कारण जो भी हों. लेकिन अगर हम NDTV के उस रिपोर्टिंग के खिलाफ या फिर सरकार की दंडात्मक कार्यवाही के साथ थे/हैं तो चैनल का वैयक्तिक विरोध/बहिष्कार हमारा कर्तव्य है. इसलिए मैंने तो सोच लिया है.
#NoNDTVon9November
– उजबक देहाती विकामी