नई दिल्ली. प्रदूषण पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार, सिविक एजेंसियों और केंद्र को फिर आड़े हाथ लिया.
इसी के साथ एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने दिल्ली में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर सात दिनों की रोक लगा दी है.
दिल्ली को स्वर्ग बना देने का सपना दिखाकर सत्ता पर काबिज़ हुए केजरीवाल की इस मामले पर निष्क्रियता के चलते यह फैसला आया है.
इस रोक के चलते निर्माण कार्यों में लगे दिहाड़ी मज़दूरों के सामने तो पेट भरने का सवाल खड़ा हो गया है.
एकाध दिन की बात हो तो यह वर्ग व्यवस्था कर लेता है लेकिन लगातार सात दिन तक रोज़गार से वंचित रहना इसके सामर्थ्य के बाहर होगा.
आम आदमी की बात करने वाले केजरीवाल ने सत्ता हासिल होते ही प्रदूषण के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार कर काम किया होता, तो न सिर्फ दिल्ली की जनता को सांस लेने के लिए कुछ बेहतर वातावरण मिलता बल्कि इन मज़दूरों और उनके परिजनों के सामने अस्तित्व का संकट भी न आया होता.
कुछ ठोस काम करने की बजाय केजरीवाल, ऑड-ईवन जैसी सजावटी योजना में लग कर, दिल्ली की जनता के पैसों से मीडिया में अपना विज्ञापन करवाते रहे.
और अब एनजीटी से लगातार लताड़े जाने के बाद कभी पंजाब और हरियाणा के किसानों को इसका ज़िम्मेदार बता रहे हैं, तो कभी केंद्र सरकार को कोस रहे हैं.
इधर एनजीटी ने प्रदूषण से बचाव के लिए समय से उपाय न करने पर दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार को 48 घंटों में इस समस्या का हल निकालने की हिदायत दी है.